गवाहों को आरोपी के पक्ष में गवाही देने की धमकी दी जा रही है, वकील केस लेने को तैयार नहीं: जम्मू-कश्मीर हाइकोर्ट ने वकील बाबर कादरी हत्याकांड की सुनवाई श्रीनगर से जम्मू ट्रांसफर की

Amir Ahmad

5 Feb 2024 8:46 AM GMT

  • गवाहों को आरोपी के पक्ष में गवाही देने की धमकी दी जा रही है, वकील केस लेने को तैयार नहीं: जम्मू-कश्मीर हाइकोर्ट ने वकील बाबर कादरी हत्याकांड की सुनवाई श्रीनगर से जम्मू ट्रांसफर की

    जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाइकोर्ट ने वकील बाबर कादरी की हत्या के मामले की सुनवाई श्रीनगर से जम्मू में एनआईए अधिनियम (NIA Act) के तहत नामित स्पेशल जज की अदालत में ट्रांसफर करने का आदेश दिया। यह निर्णय गवाहों की सुरक्षा पर चिंताओं और निष्पक्ष सुनवाई की आवश्यकता के जवाब में आया।

    गौरतलब है कि वकील कादरी पर 24 सितंबर, 2020 को श्रीनगर में उनके आवास पर जानलेवा हमला किया गया। अज्ञात आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले में कादरी पर गोलीबारी की गई, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए और अंततः उनकी मृत्यु हो गई।

    अपने बेबाक विचारों और कानूनी विशेषज्ञता के लिए जाने जाने वाले बाबर कादरी कानूनी बिरादरी में सम्मानित व्यक्ति हैं। यह घटना उस दिन की है जब उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर वीडियो अपलोड किया, जिसमें बार एसोसिएशन की कार्यप्रणाली पर गंभीर आरोप और टिप्पणियां की गईं।

    लाल बाजार पुलिस स्टेशन में एफआईआर नंबर 62/2020 के तहत दर्ज की गई घटना में अज्ञात आतंकवादियों ने कादरी पर गोलीबारी की, जिसने बाद में उन्होंने सौरा अस्पताल में दम तोड़ दिया। जांच में छह आरोपियों की पहचान की गई और आईपीसी की धारा 302, शस्त्र अधिनियम की धारा 7/27 और UAPA Act की धारा 16, 18, 20, 39 के तहत आरोप लगाए गए।

    सीनियर ए.ए.जी मोहसिन कादरी के माध्यम से मुकदमे को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में ट्रांसफर करने की मांग करते हुए शिकायतकर्ता और मृतक के परिवार के सदस्यों सहित गवाहों को मिल रही धमकियों और शत्रुता का हवाला दिया गया।

    मृतक का परिवार अपने जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए आवेदक से संपर्क कर रहा है। शिकायतकर्ता के अलावा अन्य महत्वपूर्ण गवाह भी लगातार आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें जांच में भाग न लेने के लिए धमकी दी जा रही है और इस सीनियर ए ए.जी ने कहा कि श्रीनगर में निष्पक्ष सुनवाई की कोई संभावना नहीं है।

    जस्टिस रजनेश ओसवाल ने मुकदमे को श्रीनगर से जम्मू ट्रांसफर करने की मांग वाली सरकार द्वारा दायर ट्रांसफर याचिका को अनुमति देते हुए कहा,

    "जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया कि मामले के अजीब तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए इस न्यायालय का विचार है कि एक बार महत्वपूर्ण गवाहों को आरोपी व्यक्तियों के पक्ष में गवाही देने के लिए धमकियों का सामना करना पड़ रहा है और कोई भी वकील उन्हें कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए तैयार नहीं है। श्रीनगर की अदालत में वर्तमान आवेदन निष्पक्ष, पारदर्शी और निष्पक्ष सुनवाई के लिए अनुमति देने योग्य है।''

    जस्टिस ओसवाल ने श्रीनगर में निष्पक्ष सुनवाई करने में आने वाली चुनौतियों पर गौर करते हुए कहा कि किसी आपराधिक मामले की निष्पक्ष सुनवाई के लिए यह जरूरी है कि गवाह ऐसे माहौल में गवाही देने की स्थिति में हों जो स्वतंत्र हो और शत्रुतापूर्ण न हो।

    पीठ ने टिप्पणी की,

    "केवल इसी कारण से गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष रूप से आपराधिक मामलों में उचित उपाय किए गए हैं।"

    गवाहों विशेषकर मृतक के पिता और भाई द्वारा उठाई गई वास्तविक चिंताओं को स्वीकार करते हुए अदालत ने कहा,

    “यह स्पष्ट है कि मृतक वकील के पिता और भाई ट्रायल कोर्ट के साथ-साथ आवेदक को विभिन्न तिमाहियों से दी जा रही धमकियों के खिलाफ शिकायत कर रहे हैं, जिससे उन्हें मामले पर मुकदमा चलाने से रोका जा सके और उन्हें आरोपी व्यक्तियों का पक्ष गवाही देने के लिए मजबूर किया जा सके।"

    इसके अलावा पीठ ने श्रीनगर में कानूनी प्रतिनिधित्व खोजने में असमर्थता पर भी गौर किया और राय दी।

    पीठ ने कहा,

    “आम तौर पर यह अदालत आवेदक को गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश देती, लेकिन रिकॉर्ड से यह भी पता चलता है कि शिकायतकर्ता आगे की जांच की मांग के लिए ट्रायल कोर्ट के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं रख सका, क्योंकि श्रीनगर का कोई भी वकील इसे प्रस्तुत करने के लिए तैयार नहीं है। श्रीनगर स्थित कुछ प्रभावशाली वकीलों की संलिप्तता के कारण उन्हें कानूनी सहायता मिली। इस अदालत को इसमें रत्ती भर भी संदेह नहीं है कि श्रीनगर में मामले की निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है।"

    जस्टिस ओसवाल ने मामले की अजीब परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आरोपी व्यक्तियों की निष्पक्ष, पारदर्शी और निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करते हुए ट्रांसफर के पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने मामले की सुनवाई जम्मू में NIA Act के तहत नामित स्पेशल जज की अदालत में करने का निर्देश दिया।

    केस टाइटल- सीनियर पुलिस सुपरिटेंडेंट, राज्य जांच एजेंसी (SIA) के माध्यम से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर बनाम शाहिद शफी मीर

    साइटेशन- लाइव लॉ (जेकेएल) 14 2024

    राज्य के वकील-मोहसिन कादरी, मुदस्सिर जुबैर

    प्रतिवादी के वकील- अनिल रैना, सुहैल अहमद डार।

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