Manual Scavenging: कर्नाटक हाईकोर्ट 'शून्य दोषसिद्धि' दर से नाराज, कहा- अधिकारी मामलों को गंभीरता से नहीं संभाल रहे
Shahadat
9 Jan 2024 11:33 AM IST
कर्नाटक हाईकोर्ट ने प्रतिबंध के बावजूद राज्य में हाथ से मैला ढोने (Manual Scavenging) की बेरोकटोक गतिविधियों के संबंध में 'शून्य दोषसिद्धि दर' पर खेद व्यक्त किया।
चीफ जस्टिस प्रसन्ना बी वराले और जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से टिप्पणी की,
"हमें यह समझ नहीं आ रहा है कि हर चीज अदालत को क्यों करनी पड़ती है? आपको हमारी ओर से निर्देश की आवश्यकता क्यों है? यह न्याय का कैसा मजाक है।"
हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह स्वत: संज्ञान मामला दर्ज किया था।
खंडपीठ ने कहा कि इन मामलों को तार्किक अंत तक लाने के लिए जिम्मेदार अधिकारी उचित गंभीरता के साथ काम नहीं कर रहे हैं।
खंडपीठ ने कहा,
"अपराधी पर मामला दर्ज किया जाना चाहिए और मामले को तार्किक अंत तक लाया जाना चाहिए। यह तभी हासिल किया जा सकता है, जब प्रक्रिया में शामिल व्यक्ति ही मामले को गंभीरता से लें। इसमें शामिल व्यक्ति आईओ, सरकारी अभियोजक और निर्णायक प्राधिकारी हैं।"
खंडपीठ ने यह भी सुझाव दिया कि चूंकि Manual Scavenging के अधिकांश मामले अंतर्निहित जातिगत भेदभाव को दर्शाते हैं, इसलिए SC/ST Act के तहत कदम उठाए जाने चाहिए।
हालांकि, इसमें कहा गया,
"यह सामान्य ज्ञान है कि SC/ST Act के प्रावधानों को सेवा में लागू करने के लिए या तो कोई गंभीर कदम नहीं उठाए गए हैं, या यदि ऐसे प्रावधानों को सेवा में लागू किया भी जाता है तो दुर्भाग्य से परिणाम न्यूनतम है।"
एमिक्स क्यूरी श्रीधर प्रभु ने कहा कि जब तक SC/ST Act की धारा 3 (जे), जो सिर पर मैला ढोने के लिए अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को रोजगार देने पर जुर्माना लगाती है, उसको प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जाता, केवल मुआवजा या पुनर्वास का निर्देश से कोई उद्देश्य हासिल नहीं होगा।
कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 30 जनवरी तक कोर्ट के समक्ष विस्तृत और व्यापक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
इसके अलावा इसमें एडवोकेट जनरल शशि किरण शेट्टी की दलील दर्ज की गई कि राज्य सरकार चरणबद्ध तरीके से उपकरण खरीदने की प्रक्रिया में है, जिससे मानवीय हस्तक्षेप को दूर किया जा सके।
इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने मौखिक रूप से जवाब दिया,
"जब राज्य सरकार शक्तिशाली लोगों/संगठनों द्वारा उठाए गए मुद्दों के लिए धन जारी कर सकती है तो प्राथमिकता के आधार पर उपकरण खरीदने के लिए वित्तीय प्रावधान करने पर कोई रोक नहीं है। यह राज्य द्वारा किया जा सकता है।"
अदालत ने स्कूल प्राधिकारियों द्वारा स्कूली बच्चों से हाथ से शौचालय साफ कराने की घटना की ओर इशारा करने वाली अन्य याचिका को भी इसमें शामिल कर लिया।
केस टाइटल: रजिस्ट्रार जनरल और भारत संघ एवं अन्य
केस नंबर: WP 676/2024