NI Act की धारा 138 | क्या कार्यवाही शुरू होने पर मालिक के साथ-साथ प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता भी उत्तरदायी होगा?
Amir Ahmad
31 Jan 2024 10:53 AM GMT
मद्रास हाइकोर्ट ने इस सवाल को खंडपीठ के पास भेज दिया कि क्या परक्राम्य लिखत अधिनियम (Negotiable instrument Act) की धारा 138 के तहत मालिकाना कंपनी के खिलाफ अभियोजन शुरू होने पर केवल कंपनी के मालिक को ही चेक जारी करने वाला माना जाएगा।
जस्टिस आनंद वेंकटेश ने कहा कि एक ही मुद्दे पर दो विरोधाभासी विचार हैं और इसलिए आधिकारिक घोषणा आवश्यक है। यह और भी अधिक है, क्योंकि यह प्रावधान आपराधिक कानून के अंतर्गत है और इसकी सख्त व्याख्या की जानी है।
इस प्रकार, निम्नलिखित प्रश्न खंडपीठ को भेजे गए।
क्या NI Act की धारा 138 के तहत मालिकाना चिंता के खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही में अकेले मालिक को NI Act की धारा 138 के तहत चेक जारीकर्ता माना जा सकता है।
यदि अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता ने मालिकाना प्रतिष्ठान की ओर से चेक पर हस्ताक्षर किए तो क्या ऐसे अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता को मालिक के साथ आरोपी के रूप में भी जोड़ा जा सकता है?
मामले की पृष्ठभूमि
अदालत याचिकाकर्ता विकास चूड़ीवाला के खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही रद्द करने की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। विकास स्वामित्व वाली कंपनी प्रभात जनरल एजेंसीज का अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता है। कंपनी के मालिक टीएल चूड़ीवाला है। जब प्रोपराइटरशिप कंपनी द्वारा जारी किया गया चेक अनादरित हो गया तो विकास और चूड़ीवाला दोनों को आरोपी बनाया गया।
विकास ने तर्क दिया कि केवल एकमात्र मालिक को ही आरोपी बनाया जा सकता है और केवल अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता होने के कारण उसे आरोपी नहीं बनाया जा सकता।
उन्होंने रघु लक्ष्मीनारायणन बनाम फाइन ट्यूब्स मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया। इसके साथ ही विकास ने एन गोपालन बनाम के.उदयकुमार में मद्रास हाईकोर्ट की एकल पीठ के फैसले पर भी भरोसा किया, जहां न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट के उपरोक्त फैसले पर भरोसा करते हुए कहा था कि एक्ट की धारा 138 के तहत मुकदमा केवल चेक जारी करने वाले के खिलाफ ही चलाया जा सकता है, जो अकाउंट बनाए रख रहा है। इस प्रकार अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता के खिलाफ शिकायत रद्द कर दी गई।
हालांकि अदालत ने कहा कि मद्रास हाइकोर्ट के अन्य फैसले में एकल न्यायाधीश ने विपरीत दृष्टिकोण अपनाया और माना कि शिकायत मालिक के साथ-साथ अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता के खिलाफ भी कायम है। जज ने यह भी कहा कि पिछला एकल-न्यायाधीश आदेश सुप्रीम कोर्ट के फैसले की गलत समझ पर दिया गया था।
अदालत ने कहा कि NI Act की धारा 138 के अनुसार आपराधिक कार्यवाही केवल उसके द्वारा संचालित खाते पर चेक जारी करने वाले के खिलाफ शुरू की जानी है। अदालत ने कहा कि जब अकाउंट किसी स्वामित्व संस्था द्वारा संचालित किया जाता है तो मालिक को आरोपी बनाया जाएगा। अदालत ने तब आश्चर्य जताया कि अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता को भी आरोपी कैसे बनाया जा सकता है। अदालत के अनुसार यदि अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता और मालिक दोनों को आरोपी बनाया गया तो यह NI Act की धारा 138 के अनुरूप नहीं होगा।
इस प्रकार अदालत ने रजिस्ट्री को इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए पीठ गठित करने का आदेश चीफ जस्टिस के समक्ष रखने का निर्देश दिया।
साइटेशन- लाइव लॉ (मैड) 49 2024
केस टाइटल- विकास चूड़ीवाला बनाम आर रविंदर कुमार
केस नंबर- Crl.O.P.No.3159 of 2023
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