दिल्ली हाईकोर्ट ने विदेशी ट्रेवेल कंपनियों के खिलाफ दायर जनहित याचिका का निपटारा किया, नागरिकों के पर्सनल डाटा को साझा करने से रोकने की थी मांंग
LiveLaw News Network
3 April 2024 4:42 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक जनहित याचिका का निस्तारण किया, जिसमें केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई थी कि विदेशी ट्रैवल कंपनियां टिकट बुकिंग के दरमियान उपभोक्ताओं के निजी और व्यक्तिगत डाटा जैसे नाम, आधार नंबर, पासपोर्ट विवरण आदि किसी के साथ साझा न करें।
कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने वकील और भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दायर याचिका का निस्तरण किया और उन्हें एक अभ्यावेदन के माध्यम से केंद्र सरकार से संपर्क करने को कहा।
पीठ ने कहा कि उपाध्याय ने केंद्र के समक्ष कोई प्रतिवेदन दाखिल नहीं किया और सीधे अदालत का दरवाजा खटखटाया। उपाध्याय ने डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 की भावना के तहत भारतीय नागरिकों के डाटा को सुरक्षित करने की भी मांग की थी।
उनका मामला था कि मेकमाईट्रिप, गोइबिबो और स्काईस्कैनर जैसी विदेशी यात्रा कंपनियां न केवल आम आदमी का बल्कि कानून निर्माताओं, मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों, रक्षा कर्मियों, सिविल सेवकों और उनके परिवार के सदस्यों का डाटा एकत्र करती हैं।
यह दावा करते हुए कि वह नागरिकों के डाटा, विशेष रूप से आधार और पासपोर्ट विवरण के संभावित दुरुपयोग के बारे में चिंतित हैं, उपाध्याय ने कहा था कि केंद्र को ऐसे डेटा को गोपनीय रखने के लिए ट्रैवल कंपनियों से लिखित अंडरटेकिंग लेना चाहिए।
केस टाइटल: अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य