आंगनवाड़ी उम्‍मीदवार का किसी ऐसे सरकारी कर्मचारी से निषिद्ध ‌डिग्री की सीमा में संबंध हो, जिसका चयन प्रक्रिया में प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष प्रभाव है तो उसे अयोग्य माना जाएगा: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

2 Feb 2024 7:30 AM IST

  • आंगनवाड़ी उम्‍मीदवार का किसी ऐसे सरकारी कर्मचारी से निषिद्ध ‌डिग्री की सीमा में संबंध हो, जिसका चयन प्रक्रिया में प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष प्रभाव है तो उसे अयोग्य माना जाएगा: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि जब सरकारी कर्मचारी, जिनका चयन प्रक्रिया में प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष प्रभाव होता है या स्थानीय निकायों के सदस्य निषिद्ध डिग्री के दायरे में किसी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता उम्मीदवार से संबंधित होते हैं तो उस उम्मीदवार को अयोग्य माना जाएगा।

    यहां यह ध्यान रखना उचित है कि ऐसी नियुक्तियों से संबंधित कार्यालय ज्ञापन संख्या/F3-2/06/50-2 दिनांक 27.05.2006 में रिश्ते की निषिद्ध डिग्री दी गई है।

    जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल जज बेंच ने ज्ञापन में खंड 4 की सही व्याख्या को स्पष्ट किया और कहा कि किसी कार्यकर्ता की चयन प्रक्रिया/जांच प्रक्रिया में प्रत्यक्ष भागीदारी अब पात्रता निर्धारित करने के लिए प्रासंगिक नहीं है जब पंचायती राज/स्थानीय निकाय के सदस्य पहले से ही, जैसा कि ज्ञापन में निर्दिष्ट है, उम्मीदवार के साथ घनिष्ठ संबंध रखें।

    पीठ ने कहा, "...नीति निर्माताओं की मंशा यह है कि कोई भी व्यक्ति जो सरकारी कर्मचारी से संबंधित है, जिसका चयन प्रक्रिया से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध है या पंचायत राज संस्थाओं/स्थानीय निकायों के निर्वाचित या नामांकित सदस्य हैं, तो वह अयोग्य होगा...।",

    जबलपुर स्‍थ‌ित हाईकोर्ट की पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रतिवादी नियुक्त व्यक्ति का पति आवेदन के समय पंच है और ज्ञापन के अनुसार एक करीबी रिश्तेदार के दायरे में आता है।

    इस मामले में याचिकाकर्ता छठे प्रतिवादी के आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में चयन से व्यथित था। उन्होंने आयुक्त (सागर) के समक्ष अपील दायर की थी, फिर भी फैसला प्रतिवादी नियुक्त व्यक्ति के पक्ष में था। इस आदेश के विरुद्ध याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के समक्ष वर्तमान रिट प्रस्तुत की।

    अप्रैल 2022 में न्यायालय की ‌सिंगल जज बेंच ने इस रिट याचिका को अनुमति दे दी। इसके तुरंत बाद, प्रतिवादी कार्यकर्ता ने डिवीजन बेंच से संपर्क कर शिकायत दर्ज कराई कि रिट में उसकी बात ठीक से नहीं सुनी गई। इसलिए, मामला वापस सिंगल जज बेंच को भेज दिया गया।

    यह प्रस्तुत किया गया कि द्रौपदी तिवारी बनाम मप्र राज्य एवं अन्य (2013) में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने एक उम्मीदवार को अयोग्य घोषित करने से इनकार कर दिया, जिसका देवर (पति का भाई) पंचायत कर्मी था क्योंकि यह संबंध ज्ञापन में उल्लिखित निषिद्ध डिग्री के अंतर्गत नहीं आता है।

    इसके अलावा, यह तर्क दिया गया कि चूंकि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के चयन में पंचायत कर्मी/पंचायत सचिव की कोई भूमिका नहीं होती है, इसलिए उम्मीदवार के साथ संबंध, डिग्री के बावजूद, पात्रता को प्रभावित नहीं करेगा। कोर्ट ने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की नियुक्ति एक प्रारंभिक चयन बोर्ड और चयन के प्रारंभिक दौर में परिणामों के खिलाफ उठाई गई आपत्तियों की जांच करने के लिए गठित एक अन्य समिति द्वारा की जाती है।

    जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल जज बेंच ने उपरोक्त आदेश पर गौर करने के बाद कहा कि द्रौपदी तिवारी मामले में अनुपात का पहला भाग, निषिद्ध डिग्री के भीतर आने वाले रिश्तों वाले उम्मीदवारों की नियुक्ति पर रोक लगाता है, जो अदालत के लिए बाध्यकारी है। उसने तर्क दिया कि पहला भाग बाध्यकारी है क्योंकि यह परिपत्र की भावना के अनुरूप है।

    हालांकि, अदालत ने पाया कि उम्मीदवार के निकटतम रिश्तेदार की प्रत्यक्ष भागीदारी के बिना पूर्वाग्रह उत्पन्न नहीं होने से संबंधित दूसरा भाग असंबद्ध और बाध्यकारी नहीं है। अदालत ने स्पष्ट किया कि जब तक आधिकारिक ज्ञापन अभी भी लागू है, उस फैसले के दूसरे भाग को केवल 'ओबिटर' माना जा सकता है।

    अंत में, अदालत ने यह भी बताया कि ओबिटर डिक्टम एक अवलोकन है जो मौजूदा मुद्दे को निर्धारित करने के लिए आवश्यक नहीं है, और इसलिए इसका कोई आधिकारिक मूल्य नहीं है। तदनुसार, कार्यकर्ता के चयन को बरकरार रखने वाले आयुक्त के आदेश को रद्द करने की याचिका को अदालत ने अनुमति दे दी थी।

    केस टाइटलः श्रीमती तुलसा बाई गोंड बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य।

    केस नंबर: रिट पीटिशन नंबर 4970, 2014

    साइटेशन: 2024 लाइव लॉ (एमपी) 20

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