SC/ST कानून के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए समिति के गठन को चुनौती देने वाली जिग्नेश मेवाणी की याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा

Praveen Mishra

30 July 2024 10:45 AM GMT

  • SC/ST कानून के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए समिति के गठन को चुनौती देने वाली जिग्नेश मेवाणी की याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा

    गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार को कांग्रेस नेता और वडगाम से विधायक जिग्नेश मेवाणी की उस याचिका पर राज्य सरकार का रुख पूछा जिसमें कहा गया है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए राज्य स्तरीय सतर्कता और निगरानी समिति का गठन तीन साल से अधिक समय से नहीं किया गया था।

    जस्टिस संगीता के. विशेन की सिंगल जज बेंच ने मामले में पेश सहायक सरकारी वकील से 'निर्देश' लेने को कहा और इसे एक अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

    कोर्ट ने कहा "कृपया निर्देश लें। यह आपका अपना पत्र है कि पिछले तीन वर्षों से अधिक समय से बैठक नहीं बुलाई गई है।

    सुनवाई के दौरान मेवानी के वकील ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) नियम, 1995 के नियम 16 में राज्य स्तरीय सतर्कता एवं निगरानी समिति के गठन का प्रावधान है।

    उन्होंने कहा कि मैं आरक्षित सीट से विधायक हूं। यह पूछे जाने पर कि सतर्कता समिति का गठन नहीं होने से उनके मुवक्किल पर क्या असर पड़ रहा है, उनके वकील ने कहा, 'अगर आप नियम 16 (1995 के नियम) को देखें तो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का हर विधायक राज्य स्तरीय सतर्कता निगरानी समिति का हिस्सा है।

    उन्होंने बताया कि इस नियम के तहत राज्य सरकार को 25 सदस्यों से अनधिक का एक उच्चाधिकार प्राप्त सतर्कता एवं निगरानी आयोग गठित करना है जिसमें समिति का अध्यक्ष मुख्यमंत्री या प्रशासक होगा।

    नियम में यह भी कहा गया है कि समिति में कुछ ऐसे सदस्य होने चाहिए जो राज्य से "संसद और राज्य विधान सभा और विधान परिषद के निर्वाचित सदस्य" हों जो "अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों" से संबंधित हों।

    उन्होंने नियम 16 (2) की ओर इशारा किया, जिसमें कहा गया है, "उच्चाधिकार प्राप्त सतर्कता और निगरानी समिति एक कैलेंडर वर्ष में कम से कम दो बार, जनवरी और जुलाई के महीनों में अधिनियम के प्रावधान के कार्यान्वयन, पीड़ितों को प्रदान की गई राहत और पुनर्वास सुविधाओं और इससे जुड़े अन्य मामलों, अधिनियम के तहत मामलों के अभियोजन की समीक्षा करेगी। अधिनियम के प्रावधानों के कार्यान्वयन के लिए उत्तरदायी विभिन्न अधिकारियों/एजेंसियों की भूमिका और राज्य सरकार द्वारा प्राप्त विभिन्न रिपोर्टों का ब्यौरा विवरण में दिया गया है।

    Next Story