गुजरात हाईकोर्ट ने राजकोट टीआरपी गेम जोन में आग लगने की घटना पर राज्य सरकार की खिंचाई की, जवाबदेही और अग्नि सुरक्षा उपायों की मांग की

LiveLaw News Network

14 Jun 2024 9:10 AM GMT

  • गुजरात हाईकोर्ट ने राजकोट टीआरपी गेम जोन में आग लगने की घटना पर राज्य सरकार की खिंचाई की, जवाबदेही और अग्नि सुरक्षा उपायों की मांग की

    गुजरात हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान से सुनवाई करते हुए राजकोट टीआरपी गेम जोन में हुई दुखद आग की घटना पर राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की है। इस आग में कई लोगों की मौत हो गई थी।

    चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस प्रणव त्रिवेदी ने सुनवाई की अध्यक्षता की और घटना पर गहरा दुख और गुस्सा जताया। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने नगर निगम आयुक्तों पर जमकर निशाना साधा और पिछले महीने हुई राजकोट आग की घटना में भारी लापरवाही का आरोप लगाया।

    न्यायालय ने ऐसी घटनाओं के लिए केवल ठेकेदारों को दोषी ठहराने की सरकार की प्रवृत्ति पर सवाल उठाया और कहा कि वह ऐसे मामलों में जिम्मेदार अधिकारियों को नहीं बख्शेगा।

    राजकोट में आग को हाल की घटनाओं की तुलना में विशेष रूप से भयावह बताते हुए हाईकोर्ट ने बार-बार होने वाली त्रासदियों पर अपनी पीड़ा व्यक्त की।

    इन मुद्दों पर सरकार की प्रतिक्रिया पर सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट ने टिप्पणी की, "मोरबी, हरनी सहित ऐसी घटनाएं होती रहती हैं... सरकार ऐसी घटनाओं में केवल ठेकेदार को ही क्यों शामिल करती है? नगर निगम आयुक्त सो रहे हैं, इसलिए ऐसी लापरवाही के कारण दुर्घटनाएं हो रही हैं... अब किसी भी नगर निगम आयुक्त को मौका नहीं दिया जाएगा।"

    पीठ ने स्थिति की गंभीरता को रेखांकित करते हुए टिप्पणी की, "राजकोट अग्निकांड आपको छोटा लग रहा है... अब आप अधिकारियों को नहीं बचा पाएंगे।"

    न्यायालय ने हलफनामे दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगने, शीघ्र प्रस्तुत करने की मांग करने और चल रही देरी पर नाराजगी व्यक्त करने के लिए नगर निकाय को फटकार लगाई।

    इसके अलावा, न्यायालय ने वरिष्ठ अधिकारियों को दोषमुक्त किए जाने के बावजूद जूनियर अधिकारियों के चयनात्मक निलंबन की भी निंदा की। इसने गेम जोन के उद्घाटन में वरिष्ठ अधिकारियों की भागीदारी पर सवाल उठाया, अवैध निर्माण में संभावित संलिप्तता का संकेत दिया।

    सरकार को 16 जून तक अंतिम तथ्य-खोज रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देते हुए, हाईकोर्ट ने राज्य भर में शैक्षणिक क्षेत्र में लागू किए गए अग्नि सुरक्षा उपायों के बारे में पारदर्शिता की मांग की। इसमें जिला और शहरी प्रभागों में शैक्षणिक संस्थानों में अग्नि सुरक्षा प्रोटोकॉल का विस्तृत मूल्यांकन शामिल था।

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