गुजरात हाईकोर्ट ने कई संस्थानों को झूठे बम धमकी ईमेल भेजने की आरोपी महिला को जमानत दी
Praveen Mishra
30 Nov 2025 12:34 PM IST

गुजरात हाईकोर्ट ने एक महिला को कई संगठनों को झूठे बम धमकी वाले ईमेल भेजने के आरोप में दायर मामले में जमानत दे दी। कोर्ट ने यह नोट किया कि पहली नज़र में वह मानसिक रूप से परेशान दिखाई देती है। अदालत ने उसे ₹10,000 के निजी मुचलके और समान राशि के एक जमानतदार के साथ जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया, साथ ही कुछ शर्तें भी लगाई।
जस्टिस निखिल एस. करियल ने आदेश में कहा कि आरोप है कि महिला ने विभिन्न संगठनों को गुमनाम ईमेल भेजकर उनमें बम होने की झूठी सूचना दी, जिससे पुलिस तंत्र और संगठनों को अनावश्यक परेशानियों का सामना करना पड़ा।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि आवेदक किसी संबंध विवाद के कारण मानसिक तनाव में थी, और संभव है कि उसी के चलते यह कृत्य हुआ हो। महिला ने नियमित जमानत मांगी थी, जो बीएनएस की धारा 351(3), 353(1)(B) और आईटी एक्ट की धारा 66(C) के तहत दायर आरोपों से संबंधित थी। उसकी ओर से कहा गया कि आरोपों की प्रकृति, उसकी भूमिका और यह तथ्य कि चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, को देखते हुए जेल में रखने का कोई औचित्य नहीं है।
वहीं, राज्य पक्ष ने जमानत का विरोध किया। लेकिन कोर्ट ने ध्यान दिया कि महिला 28.06.2025 से हिरासत में है, चार्जशीट दायर हो चुकी है, समान आरोपों वाले मामले में सेशंस कोर्ट ने भी उसे राहत दी थी और वह एक महिला आरोपी है।
अदालत ने कहा कि उपलब्ध परिस्थितियों और आरोपों की प्रकृति को देखते हुए यह जमानत देने योग्य मामला है। इसलिए आवेदन स्वीकार किया जाता है।
जमानत की शर्तें:
- आरोपी आज़ादी का दुरुपयोग नहीं करेगी।
- वह अभियोजन के हितों को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी कार्य से बचेगी।
- यदि पासपोर्ट है तो एक सप्ताह के भीतर निचली अदालत में जमा करेगी।
- अपने वर्तमान पते की सूचना जांच अधिकारी और कोर्ट को देगी।
- यदि किसी भी शर्त का उल्लंघन होता है, तो सेशंस कोर्ट उपयुक्त कार्रवाई कर सकती है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि निचली अदालत कानून के अनुसार इन शर्तों में संशोधन या ढील दे सकती है। साथ ही, ट्रायल के दौरान निचली अदालत हाईकोर्ट के इन प्रारम्भिक अवलोकनों से प्रभावित नहीं होगी।
इस प्रकार हाईकोर्ट ने महिला की जमानत याचिका स्वीकार कर ली।

