गुजरात हाईकोर्ट ने UIDAI को बांग्लादेशी नागरिक बताए जा रहे पांच आरोपियों के आधार विवरण का खुलासा करने का निर्देश दिया

Shahadat

1 July 2025 1:07 PM IST

  • गुजरात हाईकोर्ट ने UIDAI को बांग्लादेशी नागरिक बताए जा रहे पांच आरोपियों के आधार विवरण का खुलासा करने का निर्देश दिया

    गुजरात हाईकोर्ट ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) को राज्य सरकार को पांच व्यक्तियों के आधार कार्ड विवरण का खुलासा करने का निर्देश दिया, जिनके बारे में दावा किया जा रहा है कि वे बांग्लादेशी नागरिक हैं। उन पर 15,000 रुपये के बदले जाली 100 रियाल के नोटों के कथित आदान-प्रदान से संबंधित मामले में धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप है।

    अदालत ने यह आदेश राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया, जिसमें अदालत को प्रतिवादी अधिकारियों को जांच एजेंसी द्वारा मांगी गई आधार कार्ड धारकों के संबंध में जानकारी का खुलासा करने का निर्देश देने के लिए उचित आदेश जारी करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

    जस्टिस हसमुख डी. सुथार ने अपने आदेश में कहा,

    “शिकायत और याचिका के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी जो भारत का नहीं है। इसके अलावा, जिसने आधार कार्ड और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों के साथ जालसाजी की है, उसकी जानकारी की आवश्यकता है और सच्चाई का पता लगाने तथा जांच के तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए जानकारी की आवश्यकता है। आधार अधिनियम, 2016 और आधार (संशोधित) अधिनियम और अन्य कानूनों के तहत प्रतिबंध को ध्यान में रखते हुए किसी व्यक्ति की पहचान, प्रमाणीकरण सहित जानकारी का खुलासा वर्जित है, लेकिन आधार अधिनियम, 2016 की धारा 33 के तहत कोई प्रतिबंध नहीं है। हाईकोर्ट इस संबंध में उचित आदेश पारित करने के लिए सक्षम है...उपर्युक्त तथ्य पर विचार करते हुए इस न्यायालय के पास आरोपी की पहचान सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिवादी प्राधिकारी को उचित निर्देश पारित करने की शक्ति है।"

    धारा 33 में कहा गया,

    "धारा 28 की उपधारा (2) या उपधारा (5) या धारा 29 की उपधारा (2) में निहित कोई भी बात, किसी हाईकोर्ट जज के आदेश से कमतर न्यायालय के आदेश के अनुसरण में की गई पहचान संबंधी जानकारी या प्रमाणीकरण अभिलेखों सहित किसी भी सूचना के प्रकटीकरण के संबंध में लागू नहीं होगी।"

    पांचों आरोपियों (प्रतिवादी नंबर 2 से 6) के खिलाफ वडोदरा शहर के जे.पी. रोड पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करना), 467 (मूल्यवान सुरक्षा, वसीयत या संपत्ति बनाने या हस्तांतरित करने के अधिकार की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज को असली के तौर पर इस्तेमाल करना), 114 (अपराध किए जाने के समय दुष्प्रेरक की मौजूदगी), 120बी (आपराधिक साजिश) और आधार अधिनियम, 2016 की धारा 34 (नामांकन के समय गलत जनसांख्यिकीय जानकारी या बायोमेट्रिक जानकारी देकर मृत या जीवित होने पर भी छद्मवेश धारण करने के लिए दंड), 42 (सामान्य दंड) के तहत FIR दर्ज की गई।

    आरोप लगाया गया कि आरोपी ने शिकायतकर्ता को आधार कार्ड के बदले में 100 रियाल (सऊदी अरब की मुद्रा) मूल्यवर्ग के नोट देने का वादा किया था। ₹15,000 लेकिन केवल दो नोट सौंपे, जिससे आपराधिक विश्वासघात और धोखाधड़ी हुई।

    यह आरोप लगाया गया कि जांच से पता चला है कि प्रतिवादी नंबर 2 से 6 - आरोपी बांग्लादेश के निवासी हैं। उन्होंने कुछ दस्तावेजों को जाली बनाया और आधार अधिनियम, 2016 के तहत अपराध दर्ज किया गया।

    यह आरोप लगाया गया कि जांच से पता चला है कि आरोपियों ने आधार कार्ड और पैन कार्ड भी जाली बनाए हैं, जो उनके कब्जे से मिले थे और आधार कार्ड की पहचान और/या प्रमाणीकरण के उद्देश्य से।

    राज्य ने तर्क दिया कि आरोपी व्यक्तियों का विवरण प्राप्त करना महत्वपूर्ण है, जिसे प्रतिवादी प्राधिकरण से प्राप्त किया जा सकता है। इस उद्देश्य के लिए राज्य ने हाईकोर्ट का रुख किया, क्योंकि आधार अधिनियम, 2016 की धारा 28 (सूचना की सुरक्षा और गोपनीयता) के तहत रोक है।

    आधार अधिनियम की धारा 29 (सूचना साझा करने पर प्रतिबंध) के तहत रोक पर भी विचार करते हुए और निजता के अधिकार को देखते हुए ऐसी जानकारी तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक कि धारा 33 (कुछ मामलों में सूचना का खुलासा) के तहत हाईकोर्ट द्वारा आदेश न दिया जाए।

    शिकायत और याचिका के तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायालय ने पाया कि जांच में सहायता के लिए आधार सत्यापन आवश्यक है। हालांकि, पहचान और प्रमाणीकरण डेटा का खुलासा वर्जित है, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के माध्यम से इसकी अनुमति दी जा सकती है। इसके बाद न्यायालय ने आधार अधिनियम, 2016 की धारा 28 (सूचना की सुरक्षा और गोपनीयता), 29 (सूचना साझा करने पर प्रतिबंध) और 30 (बायोमेट्रिक सूचना को संवेदनशील व्यक्तिगत सूचना माना जाना) के प्रावधानों का हवाला दिया।

    इसके बाद न्यायालय ने आदेश दिया,

    "उपर्युक्त के मद्देनजर, प्रतिवादी नंबर 1 (UIDAI) को याचिकाकर्ता - गुजरात राज्य को वह जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया जाता है, जो जांच अधिकारी द्वारा जेपी रोड पुलिस स्टेशन, वडोदरा शहर में रजिस्टर्ड FIR आई-सीआर नंबर 22/2018 के संबंध में मांगी गई।।"

    उपर्युक्त निर्देश के साथ न्यायालय ने याचिका का निपटारा किया।

    Case Title: State of Gujarat vs Unique Identification Authority of India, UIDAI, Govt. Of India & Ors.

    Next Story