भूमि पासबुक जारी होने के बाद आवंटी का अधिकार व स्वामित्व तब तक बना रहता है, जब तक रद्द न किया जाए : गुवाहाटी हाईकोर्ट
Amir Ahmad
5 Dec 2025 12:48 PM IST

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया कि जब सरकारी भूमि के आवंटन का हस्तांतरण सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित हो जाता है और आवंटी के पक्ष में भूमि पासबुक जारी हो जाती है तो वह व्यक्ति उस भूमि पर अधिकार और स्वामित्व बनाए रखता है। यह अधिकार तब तक बना रहता है, जब तक कि सक्षम प्राधिकारी द्वारा विधिवत रूप से आवंटन को रद्द या वापस न लिया जाए।
जस्टिस अंजन मोनी कलिता ने यह टिप्पणी अपील खारिज करते हुए की। उन्होंने कहा कि यह दलील स्वीकार्य नहीं है कि भूमि पासबुक केवल राजस्व भुगतान या वित्तीय रिकॉर्ड के लिए होती है और उससे आवंटी को किसी प्रकार का अधिकार या स्वामित्व प्राप्त नहीं होता। कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सरकारी भूमि आवंटन के बाद जारी की गई पासबुक को केवल राजस्व रिकॉर्ड मानकर जमाबंदी, पट्टा या खाता जैसी प्रविष्टियों से अलग करके खारिज नहीं किया जा सकता।
अदालत ने कहा कि सरकारी भूमि के आवंटन के साथ पासबुक जारी होना आवंटी के पक्ष में संपूर्ण स्वामित्व उत्पन्न करता है और यह अधिकार तभी समाप्त होगा जब सक्षम प्राधिकारी कानून के अनुसार उसे निरस्त करेगा।
मामले के तथ्यों के अनुसार, प्रतिवादी ने 374.5 वर्ग मीटर सरकारी आवंटित भूमि खरीदी थी। इसके बाद संबंधित प्राधिकारी ने उस हस्तांतरण को स्वीकृति प्रदान की और उसके नाम पर सरकारी भूमि पासबुक जारी कर दी। पासबुक जारी होने के पश्चात प्रतिवादी ने वहां असम-टाइप मकान का निर्माण किया किराए पर दिया और नियमित रूप से भूमि लगान तथा बिजली बिल का भुगतान किया।
प्रतिवादी का आरोप था कि अपीलकर्ता ने बाद में उक्त भूमि पर अवैध कब्जा कर शराब की दुकान और आरसीसी भवन का निर्माण कर लिया, जिससे निरंतर धमकियों के कारण उसकी संपत्ति के किराएदारों को मकान खाली करना पड़ा। अपीलकर्ता ने इन दावों से इनकार करते हुए कहा कि प्रतिवादी के पक्ष में किया गया हस्तांतरण और आवंटन वैध नहीं था तथा वह स्वयं काफी समय से उस भूमि पर कब्जे में है। इसके आधार पर उसने प्रतिवादी को किसी भी प्रकार के राहत का पात्र न होने की दलील दी।
हालांकि, हाईकोर्ट ने पाया कि प्रतिवादी के अधिकार, स्वामित्व और कब्जे को लेकर किसी तरह का ठोस विवाद नहीं है। अदालत ने कहा कि जब उसके अधिकार और कब्जे को लेकर कोई वैध विवाद सामने नहीं आया तो अपीलकर्ता द्वारा उद्धृत अन्य मामलों के निर्णय इस प्रकरण में लागू नहीं हो सकते।
इन सभी तथ्यों और कानूनी स्थिति को देखते हुए हाईकोर्ट ने अपील को निरस्त कर दिया और ट्रायल कोर्ट का आदेश बरकरार रखा, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि भूमि पासबुक जारी होने के बाद आवंटी का अधिकार तब तक सुरक्षित रहता है जब तक उसे विधिवत निरस्त न किया जाए।

