'1990 से छह सरकारों ने कश्मीर मसले पर मुझसे संवाद किया': यासीन मलिक ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा

Praveen Mishra

19 Sept 2025 11:22 PM IST

  • 1990 से छह सरकारों ने कश्मीर मसले पर मुझसे संवाद किया: यासीन मलिक ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा

    कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक, जिन्हें 2022 में NIA कोर्ट ने आतंकी फंडिंग और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी, ने दिल्ली हाईकोर्ट में दावा किया है कि 1990 से लेकर मनमोहन सिंह सरकार तक छह लगातार प्रधानमंत्रियों (वी.पी. सिंह, चंद्रशेखर, पी.वी. नरसिम्हा राव, एच.डी. देवगौड़ा, आई.के. गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह) से उनका "वर्किंग रिलेशनशिप" रहा।

    यासीन ने लिखित जवाब में कहा कि उन्हें कई बार कश्मीर और क्षेत्रीय स्थिरता पर संवाद के लिए बुलाया गया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बोलने के लिए प्रोत्साहित किया गया। उन्होंने दावा किया कि 2006 में उन्हें पीएम मनमोहन सिंह ने दिल्ली बुलाया, जहां शिवराज पाटिल, एन.के. नारायणन, टी.के. नायर, संजय भार्गव, आईबी प्रमुख व राजनयिक एस.के. लांबा मौजूद थे।

    उन्होंने कहा कि 2001 में पीएम वाजपेयी और गृह मंत्री एल.के. आडवाणी ने उन्हें पासपोर्ट जारी कराया, जिससे वे अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब और पाकिस्तान तक गए और “अहिंसक लोकतांत्रिक संघर्ष” पर बोले। उन्होंने यह भी कहा कि एनएसए ब्रजेश मिश्रा और आर.के. मिश्रा उनसे कई बार मिले और उनसे बयान जारी करने का अनुरोध किया।

    मलिक का कहना है कि उन्होंने 1994 में एकतरफा युद्धविराम की घोषणा की थी और तब से सभी सरकारों ने वादा निभाया और उन पर TADA के मामले नहीं चलाए, यहां तक कि 2019 तक मोदी सरकार ने भी। लेकिन अनुच्छेद 370 हटने के बाद मौजूदा सरकार ने 35 साल पुराने दो CBI व TADA मामलों में ट्रायल शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में शायद ही ऐसा मामला हो जहां 31 साल बाद आरोप तय हुए हों।

    मलिक ने अपनी हिरासत की कठिनाइयों का भी जिक्र किया, जिसमें एकांत कारावास और बार-बार तलाशी शामिल है। पिछले महीने उन्होंने कोर्ट से खुद NIA की अपील का विरोध करने की अनुमति मांगी थी। कोर्ट ने उन्हें चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा और मामला 10 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

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