दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में खाली पदों को भरने के लिए केंद्र सरकार की स्थिति मांगी
Praveen Mishra
15 Oct 2025 3:49 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (National Commission for Minorities) में खाली पदों, जिसमें अध्यक्ष का पद भी शामिल है, भरने के संबंध में याचिका पर केंद्र सरकार की स्थिति मांगी है।
इस मुद्दे को “बहुत ही महत्वपूर्ण” बताते हुए चीफ़ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की डिवीजन बेंच ने केंद्र सरकार के वकील से कहा कि वे खाली पदों पर निर्देश प्राप्त करें।
कोर्ट यह याचिका मुजाहिद नफीस द्वारा दायर की गई थी, जो स्वयं को अल्पसंख्यक समन्वय समिति (Minority Coordination Committee) का संयोजक बताता है, जो पूरे भारत में अल्पसंख्यकों के कल्याण पर काम करती है।
नफीस के वकील ने कहा कि अध्यक्ष का पद 22 अप्रैल से खाली है, जब पिछले अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त हुआ।
केंद्र सरकार की वकील ने कहा कि वह बिना निर्देश के इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकती और समय मांगते हुए कहा कि वे आवश्यक निर्देश प्राप्त करेंगी।
जस्टिस गेडेला ने मौखिक रूप से केंद्र की वकील से कहा:
“कृपया सुनिश्चित करें कि चीजें आगे बढ़ें। अगले दिन की प्रतीक्षा न करें। यह बहुत ही महत्वपूर्ण है।”
यह याचिका अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्यों के पदों की रिक्तता से संबंधित चिंता उठाती है।
अब इस मामले की सुनवाई 14 नवंबर को होगी।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत और अर्द्ध-न्यायिक शक्तियों वाला यह आयोग सात सदस्यों वाला होना चाहिए, जिसमें अध्यक्ष और उपाध्यक्ष शामिल हैं।
याचिका में कहा गया है कि केंद्र द्वारा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सभी पांच सदस्यों की नियुक्ति न करने के कारण राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग पूरी तरह अक्षम हो गया है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि:
“यह कार्यकारी उदासीनता एक महत्वपूर्ण सांविधिक निकाय को, जिसे संसद के अधिनियम द्वारा भारत के सूचित अल्पसंख्यक समुदायों के संरक्षण और कल्याण के लिए बनाया गया था, पूरी तरह से निष्क्रिय और बिना प्रमुख के बना दिया है।”
याचिका में आगे कहा गया है कि:
“नवंबर 2024 से शुरू होकर अप्रैल 2025 में अध्यक्ष के पद छोड़ने तक की घटनाओं की श्रृंखला के कारण, आयोग, व्यावहारिक रूप से, अस्तित्वहीन हो गया है। याचिकाकर्ता, जो एक अनौपचारिक अल्पसंख्यक कल्याण संगठन का प्रतिनिधित्व करता है, ने 20.08.2025 को केंद्र को औपचारिक प्रतिनिधित्व के माध्यम से यह मुद्दा हल करने का प्रयास किया, लेकिन उसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। यह याचिका अंतिम उपाय के रूप में प्रस्तुत की गई है, जिसमें केंद्र को अपनी सांविधिक जिम्मेदारी निभाने, संसद की मंशा का सम्मान करने और तुरंत राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में नियुक्तियां करके अल्पसंख्यक समुदायों के संवैधानिक रूप से सुनिश्चित सुरक्षा उपायों को बहाल करने का निर्देश देने के लिए मंडामस रिट (writ of mandamus) जारी करने का अनुरोध किया गया है।”

