अनधिकृत निर्माण के बहाने याचिकाओं के दुरुपयोग पर दिल्ली हाईकोर्ट की चेतावनी, याचिकाकर्ता पर 50,000 रुपये का जुर्माना
Praveen Mishra
7 Oct 2025 4:50 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने कल अनधिकृत निर्माण के बहाने फर्जी याचिकाएं दायर करने वालों के खिलाफ चेतावनी दी और स्पष्ट किया कि ऐसी याचिकाएं केवल वही व्यक्ति दायर कर सकते हैं जो सीधे प्रभावित हों।
जस्टिस मिनी पुष्करना ने एक याचिकाकर्ता पर 50,000 रुपये जुर्माना लगाया क्योंकि उसने जमिया नगर क्षेत्र में स्थित उस संपत्ति का अधिकार या कब्जा पाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया, जिस पर उसने अनधिकृत निर्माण का दावा किया था। इस राशि को दिल्ली हाईकोर्ट बार क्लर्क एसोसिएशन में जमा करना होगा।
कोर्ट ने कहा,
“हम पहले भी कई आदेश दे चुके हैं कि केवल वही व्यक्ति, जो अनधिकृत निर्माण से सीधे प्रभावित हैं और जिनके घर या पड़ोस में यह संपत्ति है, वे ही ऐसी याचिका दायर करने के पात्र हैं।”
कोर्ट ने बताया कि अब कुछ लोग नई रणनीति अपना रहे हैं, जिसमें वे दावा करते हैं कि संपत्ति उनके नाम की है और फिर अनधिकृत निर्माण के खिलाफ याचिका दायर कर देते हैं।
कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा,
“ऐसी चालबाजी और फर्जी तरीके उन unscrupulous व्यक्तियों द्वारा अपनाई जा रही है, जो अपने लिए अवैध लाभ पाने के लिए अदालत की पवित्र प्रक्रिया का दुरुपयोग करते हैं। यह बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। अदालत इस तरह के दुरुपयोग की अनुमति नहीं दे सकती।”
याचिकाकर्ता बलबीर सिंह ने संपत्ति का स्वामित्व अपने नाम होने का दावा करते हुए उसे गिराने की याचिका दायर की। उन्होंने 1967-1968 का रेवेन्यू रिकॉर्ड प्रस्तुत किया, लेकिन कब्जा पाने के लिए कोई मुकदमा नहीं दायर किया।
कोर्ट ने कहा कि सिंह का दावा सही होने के बावजूद कोई कब्जे का मुकदमा नहीं दायर किया गया, जिससे उनके मामले की सच्चाई और भली-भांति निपटान पर संदेह उत्पन्न होता है।
कोर्ट ने कहा,
“स्पष्ट रूप से यह याचिका छलपूर्ण इरादों और गुप्त उद्देश्य के साथ दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि संपत्ति उसके नाम की है, लेकिन उसने केवल अनधिकृत निर्माण के खिलाफ याचिका दायर की और संपत्ति पर कब्जे के लिए कोई कदम नहीं उठाया।”
कोर्ट ने कहा कि इस तरह के लोग बिल्डर या संबंधित पक्ष पर दबाव बनाने और अवैध लाभ लेने के लिए अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग करते हैं, और ऐसे लोगों के खिलाफ सख्ती से कदम उठाया जाएगा।

