सोशल मीडिया पर पोस्ट अपमान या अपमान की सीमा पार कर व्यक्ति के सम्मान के अधिकार को प्रभावित करते हैं: दिल्ली हाईकोर्ट
Shahadat
10 Oct 2025 10:32 AM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया यूजर्स, विशेष रूप से ऑनलाइन पोस्ट करने वाले प्रभावशाली लोगों, जो व्यापक दर्शकों का ध्यान आकर्षित करते हैं, उसके लिए चेतावनी जारी की है।
जस्टिस रविंदर डुडेजा ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है, लेकिन यह व्यक्तिगत सम्मान को कुचल नहीं सकती।
जज ने कहा,
"जब कोई भाषण अपमान, अपमान या उकसावे की सीमा पार कर जाता है तो वह सम्मान के अधिकार से टकराता है... संविधान द्वारा अनुच्छेद 19 के तहत दी गई 'भाषण' और 'अभिव्यक्ति' की स्वतंत्रता का प्रयोग उसके द्वारा लगाए गए उचित प्रतिबंधों के दायरे में ही किया जाना चाहिए।"
यह टिप्पणी एक्टर एजाज खान को अग्रिम जमानत देते हुए की गई, जिन पर यूट्यूबर हर्ष बेनीवाल की माँ और बहन के खिलाफ सोशल मीडिया पर अश्लील टिप्पणी करने का आरोप है।
कोर्ट ने कहा कि चूंकि खान और बेनीवाल दोनों ही सोशल मीडिया पर प्रभावशाली व्यक्ति हैं, इसलिए उन्हें अपनी पोस्ट के प्रति सतर्क रहना चाहिए।
कोर्ट ने कहा,
"भले ही उनके द्वारा पोस्ट करने के बाद सामग्री हटा दी जाए। फिर भी यह दर्शकों के एक बड़े समूह तक पहुंच जाएगी, जिससे उसी सामग्री का पुनः प्रकाशन होगा/उनके अनुयायियों के बीच उस सामग्री पर बहस छिड़ जाएगी, जिसका अंततः पीड़ित पर प्रभाव पड़ेगा।"
कोर्ट ने आगे कहा कि जहां इंटरनेट ने अपने प्रसार को बढ़ाकर ज्ञान को आसानी से सुलभ बनाया है, वहीं इसने हर आयु वर्ग के एक बड़े दर्शक वर्ग को भी अपने साथ जोड़ लिया।
कोर्ट ने कहा,
"इस प्रकार, इंटरनेट पर कोई भी सामग्री व्यापक होती है और एक बड़े दर्शक वर्ग के लिए सुलभ होती है। इंटरनेट पर प्रत्येक सामग्री को बहुत सावधानी से अपलोड किया जाना चाहिए, खासकर जब अपलोड करने वाले के पास एक बड़ा दर्शक वर्ग हो और वह समाज पर प्रभाव डालता हो।"
Case title: Ajaz Khan v. State

