DMRC द्वारा भूमि अधिग्रहण पर दुकानदार पुनर्वास की मांग नहीं कर सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

Shahadat

30 Sept 2025 9:47 AM IST

  • DMRC द्वारा भूमि अधिग्रहण पर दुकानदार पुनर्वास की मांग नहीं कर सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि दिल्ली मेट्रो की 'परियोजना प्रभावित व्यक्तियों के संबंध में पुनर्वास नीति' उन दुकानदारों के पुनर्वास की परिकल्पना नहीं करती, जिनकी दुकानें किसी परियोजना के लिए अधिग्रहित की गईं, जब तक कि वे उक्त दुकान से 'व्यवसाय' न कर रहे हों।

    जस्टिस अमित शर्मा ने कहा,

    "उपरोक्त नीति/दिशानिर्देश के तहत वैकल्पिक दुकान दिए जाने का लाभ उठाने के लिए याचिकाकर्ता को यह साबित करना होगा कि वह उक्त दुकान से व्यवसाय कर रहा था। उक्त दुकान का मालिक होने के नाते याचिकाकर्ता को उक्त नीति/दिशानिर्देश के अनुसार वैकल्पिक दुकान का कोई अधिकार प्राप्त नहीं है।"

    पीठ मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम परियोजना के लिए दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) द्वारा अधिग्रहित भूमि के मालिक द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रही थी।

    याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वह उक्त दुकान में एक पर्यटक कार्यालय चला रहा था। इसलिए उसने डीएमआरसी नीति के अनुसार वैकल्पिक भूखंड आवंटित करने की मांग की।

    DMRC ने यह कहते हुए उसके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया कि PwD के सर्वेक्षण और मूल्यांकन रिपोर्ट दोनों में दुकान बंद दिखाई गई। उसने दावा किया कि पुनर्वास और पुनर्वास नीति केवल परियोजना से प्रभावित दुकानदारों को ही "व्यापार करने" का अधिकार देती है।

    हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता ने दावा किया कि सर्वेक्षण के समय उसकी दुकान बंद है, क्योंकि वह पारिवारिक समस्याओं के कारण उसे खोल नहीं सका है।

    हालांकि, DMRC ने दुकानों के बिजली के बिल प्रस्तुत किए, जिनमें केवल ₹40-90 की खपत दिखाई गई, जिससे पता चलता है कि दुकान का उपयोग किसी भी व्यवसाय के लिए नहीं किया जा रहा था।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उपरोक्त नीति के अनुसार, केवल यह आवश्यक है कि वह दुकान का मालिक हो।

    इस तर्क को "अनुचित" पाते हुए हाईकोर्ट ने कहा,

    "यदि उपरोक्त नीति का उद्देश्य मालिक को एक वैकल्पिक दुकान आवंटित करना है, चाहे उक्त दुकान से कोई व्यवसाय किया जा रहा हो या नहीं तो दुकानों और आवासों के सर्वेक्षण की पूरी प्रक्रिया अप्रासंगिक हो जाती है।"

    अदालत ने कहा कि पुनर्वास के उद्देश्य से जहां तक व्यक्ति "व्यवसाय कर रहे हैं", नीति दुकान मालिकों और किरायेदारों के बीच भेदभाव भी नहीं करती है।

    अदालत ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि परिसर में वास्तव में रहने वाले व्यक्तियों के पुनर्वास के लिए भी यही मानदंड अपनाया गया।

    इस प्रकार, याचिकाकर्ता की पुनर्वास की याचिका खारिज कर दी गई।

    Case title: Surender Kumar v. GNCTD

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