शशि थरूर की टिप्पणी ने PM Modi को ही नहीं, RSS और BJP को भी बदनाम किया: दिल्ली हाईकोर्ट
Shahadat
30 Aug 2024 10:37 AM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि कांग्रेस (Congress) सांसद शशि थरूर की 2018 में की गई 'शिवलिंग पर बिच्छू' वाली टिप्पणी ने न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को बदनाम किया, बल्कि BJP और RSS तथा पार्टी के सदस्यों को भी नेतृत्व स्वीकार करने के लिए बदनाम किया।
जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने कहा कि यह टिप्पणी इस बात का उदाहरण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी RSS प्रतिष्ठान में कई लोगों को अस्वीकार्य हैं। उन्होंने अपनी हताशा की अभिव्यक्ति की तुलना ऐसे नेता से निपटने से की, जिसमें विषैली प्रवृत्ति वाले बिच्छू की विशेषताएं हैं।
अदालत ने कहा,
"टिप्पणियों ने न केवल पीएम मोदी को बदनाम किया, बल्कि उनके द्वारा प्रतिनिधित्व की जाने वाली पार्टी यानी BJP, RSS और पार्टी के सदस्यों को नेतृत्व स्वीकार करने के लिए बदनाम किया।"
इसने कहा कि राजनीतिक दल के विधायी प्रमुख और भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री के खिलाफ आरोप पार्टी, पदाधिकारियों और संबंधित पार्टी के सदस्यों की छवि पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। यह व्यवस्था के लिए भी अच्छा नहीं है, क्योंकि यह चुनावी प्रक्रिया को भी प्रभावित करता है।
अदालत ने 2018 में BJP नेता राजीव बब्बर द्वारा थरूर के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे को खारिज करने से इनकार करते हुए ये टिप्पणियां कीं।
अक्टूबर 2018 में थरूर ने दावा किया था कि एक अनाम RSS नेता ने कथित तौर पर प्रधानमंत्री मोदी की तुलना "शिवलिंग पर बैठे बिच्छू" से की थी। उन्होंने इसे "असाधारण रूप से आकर्षक रूपक" करार दिया था।
बब्बर ने दावा किया कि थरूर की टिप्पणियों से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।
जस्टिस मेंदीरत्ता ने कहा कि टिप्पणियों ने अप्रत्यक्ष रूप से हिंदू भावनाओं को भी आहत किया है।
अदालत ने कहा कि थरूर के बयान को इस नजरिए से देखा जाना चाहिए कि सामान्य व्यक्ति क्या पढ़ेगा और क्या समझेगा और पंक्तियों के बीच क्या वास्तविक संदेश दिया जा रहा है।
अदालत ने कहा,
“रिकॉर्ड के अनुसार, मिस्टर मोदी का सीधा संदर्भ 2018 में भारत के तत्कालीन माननीय प्रधानमंत्री से है, जो विधायी प्रमुख के रूप में BJP का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। आरोप में आगे मिस्टर मोदी की तुलना शिवलिंग (पवित्र लिंग की अभिव्यक्ति) पर बैठे बिच्छू से की गई, जिसे किसी भी तरह से निपटा नहीं जा सकता है, क्योंकि इसे हाथ से हटाया नहीं जा सकता है या चप्पल (जूते) से मारा नहीं जा सकता।”
इसमें कहा गया:
“यह ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है कि टिप्पणी इस बात का उदाहरण है कि मिस्टर नरेंद्र मोदी अदालत ने कहा। प्रतिष्ठान में कई लोगों के लिए अस्वीकार्य हैं। उनकी हताशा की अभिव्यक्ति की तुलना ऐसे नेता से निपटने के रूप में की गई, जिसमें विषैली प्रवृत्ति वाले बिच्छू की विशेषताएं हैं। इन टिप्पणियों से न केवल मिस्टर नरेन्द्र मोदी बल्कि उनके द्वारा प्रतिनिधित्व की जाने वाली पार्टी यानी BJP, जिसमें RSS और पार्टी के सदस्य शामिल हैं, उसको भी बदनाम किया गया।
अदालत ने आगे कहा कि समन आदेश केवल इस आधार पर समय से पहले नहीं माना जा सकता कि समन से पहले के चरण में संबंधित गवाह को समन करके समाचार पत्रों की रिपोर्ट को साबित नहीं किया गया।
इस मामले में निचली अदालत ने थरूर को जमानत दी थी।
शिकायतकर्ता ने कहा,
"मैं भगवान शिव का भक्त हूं। हालांकि, आरोपी (थरूर) ने करोड़ों शिव भक्तों की भावनाओं की पूरी तरह से अवहेलना की, (और) ऐसा बयान दिया जिससे भारत और देश के बाहर सभी भगवान शिव भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंची।"
शिकायत में दावा किया गया,
"शिकायतकर्ता की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। आरोपी ने जानबूझकर यह दुर्भावनापूर्ण कार्य किया, जिसका उद्देश्य भगवान शिव भक्तों की धार्मिक आस्था का अपमान करके उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना था।"
बब्बर ने थरूर के बयान को "असहनीय दुर्व्यवहार" और लाखों लोगों की आस्था का "पूर्ण अपमान" भी बताया।
यह शिकायत भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 499 और 500 के तहत दायर की गई।
केस टाइटल: शशि थरूर बनाम राज्य