Sec. 138 NI Act | लीगल नोटिस में चेक धारक को 'चेक राशि' की स्पष्ट मांग करनी होगी : दिल्ली हाईकोर्ट

Praveen Mishra

18 Jun 2025 9:01 AM IST

  • Sec. 138 NI Act | लीगल नोटिस में चेक धारक को चेक राशि की स्पष्ट मांग करनी होगी : दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जब चेक बाउंस होने पर ड्रॉअर (चेक जारी करने वाले) को लीगल नोटिस भेजा जाता है, तो उसमें विशेष रूप से चेक राशि की मांग की जानी चाहिए।

    अगर नोटिस में चेक की राशि की स्पष्ट मांग नहीं की गई है, तो निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत कार्यवाही शुरू करने की पूर्व-शर्तें पूरी नहीं मानी जाएंगी।

    जस्टिस अमित महाजन ने कहा, "धारा 138(b) के अनुसार, प्राप्तकर्ता या विधिसंगत धारक को 'उक्त राशि' की मांग करते हुए ड्रॉअर को लिखित नोटिस देना होता है। यहां 'उक्त राशि' का तात्पर्य चेक की राशि से है।"

    इस मामले में ₹50,000/- की दो चेक बाउंस हुईं, यानी कुल ₹1,00,000/- की राशि पर विवाद था।

    इसलिए, कानून के अनुसार याचिकाकर्ता (चेक धारक) को प्रतिवादी (चेक जारी करने वाले) से ₹1,00,000/- की स्पष्ट मांग करनी चाहिए थी।

    हालांकि, भेजे गए लीगल नोटिस में चेक राशि की मांग नहीं की गई थी। इसके बजाय लिखा गया था, "आपसे अपेक्षा की जाती है कि इस नोटिस की प्राप्ति के 15 दिनों के भीतर मेरे मुवक्किल के सभी बकायों को डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से चुका दें, अन्यथा मेरा मुवक्किल उपलब्ध कानूनी उपायों के तहत दीवानी वाद दायर करने को बाध्य होगा।"

    कोर्ट ने कहा,"यह भाषा चेक राशि की स्पष्ट मांग नहीं दर्शाती, जैसा कि धारा 138 में अपेक्षित है। नोटिस में चेक का उल्लेख है, लेकिन मांग कुल बकाया राशि की गई है, न कि विशेष रूप से चेक की राशि की।"

    साथ ही, कोर्ट ने यह भी माना कि प्रतिवादी ने धारा 139 के तहत याचिकाकर्ता के खिलाफ पूर्वधारणा को खारिज कर दिया था, क्योंकि प्रतिवादी ने यह संभावित बचाव प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता ने एक ही माल की डिलीवरी के लिए दो बार बिल जारी किए थे।

    इन तथ्यों को देखते हुए, कोर्ट ने मजिस्ट्रेट द्वारा याचिका खारिज किए जाने के आदेश को सही ठहराया और धारा 138 के अंतर्गत की गई शिकायत को निरस्त कर दिया।

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