अभियोजन पक्ष और कानूनी विभागों को मामले शुरू करने से पहले उचित सावधानी बरतनी चाहिए: दिल्ली हाईकोर्ट
Shahadat
10 Oct 2024 3:34 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष और दिल्ली सरकार के विधि एवं विधायी मामलों के विभाग को मामले शुरू करने से पहले उचित सावधानी बरतनी चाहिए और तुच्छ मुकदमों के माध्यम से कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
जस्टिस अमित महाजन ने कहा कि तुच्छ मुकदमों को दायर करने से अन्य मुकदमों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जो न्यायालयों के समक्ष सुनवाई के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।
न्यायालय ने कहा कि तुच्छ मुकदमों को दायर करने से कानूनी प्रणाली पर दूरगामी और हानिकारक प्रभाव पड़ता है। इससे न केवल न्यायालयों में अनावश्यक मुकदमों का बोझ बढ़ता है, बल्कि उन वास्तविक मुकदमों की सुनवाई में भी देरी होती है, जो धैर्यपूर्वक अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।
जस्टिस महाजन ने कहा,
“इस तरह की देरी न्यायपालिका की दक्षता को कमजोर करती है, जिससे वादियों को परेशानी होती है। इसलिए यह जरूरी है कि अभियोजन और कानूनी विभाग न्यायिक प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखने और वैध शिकायतों वाले लोगों के लिए समय पर न्याय सुनिश्चित करने के लिए मामले शुरू करने से पहले उचित परिश्रम करें।"
न्यायालय ने अभियोजन पक्ष द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें 2019 में बलात्कार के मामले में व्यक्ति को दोषी ठहराए जाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करने की अनुमति मांगी गई थी। यह घटना 2011 में हुई थी।
जस्टिस महाजन ने कहा कि अभियोजन पक्ष के आरोपों को केवल अभियोक्ता के बयान के आधार पर साबित करने की कोशिश की गई, जिसकी पुष्टि किसी अन्य स्वतंत्र साक्ष्य से नहीं हुई।
न्यायालय ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के समक्ष अतिरिक्त लोक अभियोजक ने शुरू में राय दी कि मामला हाईकोर्ट में अपील के लिए उपयुक्त नहीं और अभियोजन निदेशक ने भी यही राय साझा की।
उन्होंने कहा,
हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि विधि और विधायी मामलों के विभाग ने बाद में अपील दायर करने का प्रस्ताव रखा।
जबकि न्यायालय को विवादित निर्णय में कोई दोष नहीं मिला, लेकिन वह विधि एवं विधायी मामलों के विभाग द्वारा मामले में अपील की संस्तुति करने के पीछे के तर्क को समझने में असमर्थ था।
न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला,
“यद्यपि वर्तमान मामला स्पष्ट रूप से ऐसा है, जहां अभियोजन पक्ष पर तुच्छ अपील दायर करने के लिए लागत लगाई जानी चाहिए। इस न्यायालय ने विधि एवं विधायी मामलों के विभाग को यह निर्देश देते हुए ऐसा आदेश पारित करने से परहेज करने का विकल्प चुना है कि वह यह तय करने में अधिक सतर्कता और संवेदनशीलता बरते कि किन मामलों में मुकदमा चलाया जाए।”
केस टाइटल: राज्य बनाम मनपाल एवं अन्य