दिल्ली हाईकोर्ट में 40% न्यायिक रिक्तियों पर जनहित याचिका दायर, पदों को शीघ्र भरने की मांग
Shahadat
8 May 2025 3:36 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें बार से योग्य जिला जजों और वकीलों को पदोन्नत करके न्यायालय में न्यायिक रिक्तियों को शीघ्र भरने की मांग की गई।
यह जनहित याचिका वकील अमित साहनी ने व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता के रूप में दायर की।
दिल्ली हाईकोर्ट में जजों की स्वीकृत संख्या 60 है। याचिका के अनुसार, न्यायालय वर्तमान में केवल 36 जजों के साथ काम कर रहा है, जो 40% रिक्तियों को दर्शाता है।
याचिका में कहा गया,
"यह गंभीर कमी रिटायरमेंट, हाल ही में अंतर-न्यायालय स्थानांतरण और संवैधानिक जनादेश और मौजूदा प्रक्रिया ज्ञापन (MOP) के बावजूद जजों की नियुक्ति में निष्क्रियता के कारण उत्पन्न हुई है, जिसमें रिक्तियों से काफी पहले नियुक्तियां शुरू करने की आवश्यकता होती है।"
याचिका में जस्टिस रेखा पल्ली और जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता के हाल ही में रिटायरमेंट के साथ-साथ जस्टिस यशवंत वर्मा, जस्टिस सी.डी. सिंह और जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा को अन्य हाईकोर्ट में भेजा गया है।
इसमें आगे कहा गया कि आने वाले महीनों में दो और जजों (जस्टिस धर्मेश शर्मा और जस्टिस शालिंदर कौर) की रिटायरमेंट की उम्मीद है, जिससे जजों की संख्या घटकर 34 रह जाएगी, जिससे लंबित मामलों और न्यायिक देरी में और वृद्धि होगी।
याचिका में कहा गया कि यह मुद्दा मध्यम और निम्न सामाजिक-आर्थिक वर्गों को सबसे अधिक चिंतित करेगा, क्योंकि उक्त समूहों को अक्सर बोझिल न्यायिक प्रणाली के कारण न्याय तक पहुंचने में काफी देरी का सामना करना पड़ता है।
इसमें आगे कहा गया कि अधिक जजों की नियुक्ति करके हाईकोर्ट मामलों को अधिक कुशलता से संभाल सकता है, लंबित मामलों को कम कर सकता है और व्यापक जनहित में विवादों का त्वरित समाधान सुनिश्चित कर सकता है।
याचिका में कहा गया,
"न्याय प्रणाली में जनता के विश्वास को कम होने से बचाने के लिए मामलों के शीघ्र निपटान के लिए याचिका में उठाया गया मुद्दा आवश्यक है। याचिका में उठाए गए मुद्दे से न केवल आम जनता को लाभ होगा, बल्कि माननीय जजों को भी लाभ होगा, क्योंकि मौजूदा बेंचों पर अत्यधिक मामलों का बोझ स्वास्थ्य, मनोबल और न्यायिक दक्षता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।"
याचिका में प्रतिवादी केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय, दिल्ली हाईकोर्ट हैं।
केस टाइटल: अमित साहनी बनाम भारत संघ (विधि एवं न्याय मंत्रालय) अपने सचिव एवं अन्य के माध्यम से

