हाईकोर्ट में राहुल गांधी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी को लेकर रवनीत सिंह बिट्टू के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका दायर की गई

Amir Ahmad

18 Sep 2024 8:28 AM GMT

  • हाईकोर्ट में राहुल गांधी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी को लेकर रवनीत सिंह बिट्टू के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका दायर की गई

    कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने को लेकर केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर की गई।

    यह याचिका हिंदू सेना प्रमुख सुरजीत सिंह यादव ने दायर की।

    यादव 15 सितंबर को प्रेस ब्रीफ में राहुल गांधी के खिलाफ बिट्टू की टिप्पणी से व्यथित हैं।

    याचिका के अनुसार टिप्पणी इस प्रकार है,

    "राहुल गांधी भारतीय नहीं हैं। उन्होंने अपना अधिकांश समय बाहर बिताया है। उन्हें अपने देश से उतना प्यार नहीं है, क्योंकि वे विदेश जाते हैं और हर बात को गलत तरीके से कहते है, जो लोग मोस्ट वांटेड हैं, अलगाववादी हैं और बम, बंदूक और गोले बनाने में माहिर हैं, उन्होंने राहुल गांधी की बातों की सराहना की। देश के दुश्मन जो विमान, ट्रेन और सड़कें उड़ाने की कोशिश करते हैं, वे राहुल गांधी के समर्थन में हैं। अगर नंबर एक आतंकवादी और देश के सबसे बड़े दुश्मन को पकड़ने के लिए कोई पुरस्कार होना चाहिए, तो वह राहुल गांधी को मिलना चाहिए।”

    यादव ने राहुल गांधी के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक, भ्रामक और झूठे बयानों के लिए बिट्टू के खिलाफ मुकदमा चलाने के साथ-साथ शिकायत दर्ज करने की मांग की। यादव ने दलील दी है कि बिट्टू द्वारा की गई टिप्पणी न केवल निराधार है बल्कि घृणा और हिंसा को भी भड़काती है जिसके कारण देश के कई हिस्सों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

    याचिका में कहा गया कि प्रतिवादी संख्या 2 द्वारा की गई टिप्पणी की भड़काऊ प्रकृति ने सार्वजनिक अशांति और हिंसा को जन्म दिया है। इसमें हिंसा भड़काने और समूहों के बीच टकराव पैदा करने की प्रवृत्ति है, जिसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक व्यवस्था में गड़बड़ी हो सकती है।

    इसमें यह भी कहा गया कि राहुल गांधी के खिलाफ बिट्टू की टिप्पणी जिसमें उन्होंने उन्हें देश का दुश्मन और आतंकवादी बताया है, उसका बहुआयामी और महत्वपूर्ण प्रभाव है।

    याचिका में कहा गया कि प्रतिवादी नंबर 2 द्वारा की गई टिप्पणी से सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तनाव बढ़ सकता है। इससे संसदीय सत्रों और सार्वजनिक बहसों में टकराव बढ़ सकता है। इस तरह की भाषा मौजूदा राजनीतिक विभाजन को और गहरा कर सकती है।

    केस टाइटल- सुरजीत सिंह यादव बनाम भारत संघ और अन्य।

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