जब्त माल के मूल्यांकन के लिए यात्री की गैर-हाजिरी, कारण बताओ नोटिस जारी करने की समय-सीमा को नहीं रोकती: दिल्ली हाईकोर्ट
Shahadat
5 Sept 2025 11:09 AM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि कस्टम माल की जब्ती के बाद कारण बताओ नोटिस जारी करने की निर्धारित समय-सीमा को केवल इस आधार पर नहीं बढ़ा सकता कि जिस व्यक्ति से माल जब्त किया गया, वह मूल्यांकन के लिए उपस्थित नहीं हुआ।
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और शैल जैन की खंडपीठ ने कहा,
"मूल्यांकन के लिए गैर-हाजिरी, कस्टम एक्ट, 1962 की धारा 110 के अनुसार कारण बताओ नोटिस जारी करने की समय-सीमा को नहीं रोकती।"
कस्टम एक्ट की धारा 110, कारण बताओ नोटिस जारी करने और जिस व्यक्ति से माल जब्त किया गया, उसे सुनवाई का अवसर देने के लिए छह महीने की अवधि निर्धारित करती है।
औपचारिकताओं का पालन करने के अधीन, विभाग द्वारा छह महीने की अवधि के लिए और विस्तार लिया जा सकता है।
इस मामले में याचिकाकर्ता की सोने की चेन 13 मार्च 2024 को बैंकॉक से देश लौटने पर कस्टम द्वारा ज़ब्त कर ली गई।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि यह वस्तु उसकी "व्यक्तिगत संपत्ति" है। किसी भी स्थिति में आज तक कारण बताओ नोटिस जारी न किए जाने के कारण ज़ब्त करना अनुचित है।
विभाग ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ज़ब्त की गई सोने की चेन के मूल्यांकन के लिए उपस्थित नहीं हुआ। इसलिए कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया जा सकता।
हालांकि, हाईकोर्ट ने धीरेन बनाम सीमा शुल्क आयुक्त (2025) मामले का हवाला दिया, जहां मूल्यांकन के लिए उपस्थित न होने को देरी के स्पष्टीकरण के रूप में खारिज कर दिया गया था।
यह स्पष्ट किया जाता है कि ज़ब्त किए गए सामान के मूल्यांकन के लिए किसी यात्री का उपस्थित न होना, कस्टम एक्ट, 1962 की धारा 110 के अनुसार कारण बताओ नोटिस जारी करने से रोकने का आधार नहीं है।
इस प्रकार, चूंकि एस.सी.एन. जारी न करना ही माल को छोड़ने के लिए पर्याप्त आधार है, इसलिए न्यायालय ने हिरासत को रद्द कर दिया।
Case title: Gurpreet Singh Sonik v. Commissioner Of Customs

