'अंतर-देशीय दत्तक ग्रहण के लिए NOC4 साल से अधिक समय से अटकी हुई है': दिल्ली हाईकोर्ट ने CARA को 4 सप्ताह के भीतर कदम उठाने का निर्देश दिया

Shahadat

24 Jun 2025 10:13 AM IST

  • अंतर-देशीय दत्तक ग्रहण के लिए NOC4 साल से अधिक समय से अटकी हुई है: दिल्ली हाईकोर्ट ने CARA को 4 सप्ताह के भीतर कदम उठाने का निर्देश दिया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले दंपति की मदद की, जिन्हें CARA (केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण) की निष्क्रियता के कारण 4 साल से अधिक समय से अपने दत्तक पुत्र को देश वापस ले जाने से रोका गया था।

    जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि दत्तक ग्रहण विलेख 2020 में निष्पादित किया गया था। इसलिए प्राधिकरण को याचिकाकर्ता-दंपति को बच्चे को अपने साथ ले जाने में सक्षम बनाने के लिए तुरंत एक एनओसी जारी करने का निर्देश दिया।

    पीठ ने कहा कि दत्तक ग्रहण कानून के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार संपन्न हुआ है और CARA के लिए NOC देने में कोई बाधा नहीं है।

    CARA ने कहा कि ऐसे मामलों में जहां HAMA के तहत गोद लिए गए बच्चों को दत्तक माता-पिता द्वारा विदेश में स्थानांतरित करने की मांग की जाती है- दत्तक ग्रहण विनियम 2022 के अनुसार हेग कन्वेंशन, 1993 के तहत प्राप्त करने वाले देश के संबंधित प्राधिकरण से आवश्यक दस्तावेज/प्रमाणन की आवश्यकता होती है।

    इसने तर्क दिया कि उपरोक्त आवश्यक दस्तावेज के अभाव के कारण NOC रोक दी गई।

    CARA ने दत्तक पिता की मां द्वारा जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर दत्तक ग्रहण विलेख के रजिस्ट्रेशन पर भी आपत्ति जताई। इसने तर्क दिया कि गोद लेने के उद्देश्य से क्वींसलैंड पावर ऑफ अटॉर्नी अधिनियम, 1998 के तहत GPA कानूनी रूप से वैध साधन नहीं है।

    हाईकोर्ट ने शुरू में प्रेमा गोपाल बनाम केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण और अन्य का उल्लेख किया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में CARA को यूनाइटेड किंगडम में रहने वाली 49 वर्षीय एकल भारतीय महिला द्वारा दो बच्चों को अंतर-देशीय गोद लेने की प्रक्रिया को स्थिर करने के लिए NOC जारी करने का निर्देश दिया था।

    CARA की आपत्तियों पर आते हुए न्यायालय ने कहा कि हेग कन्वेंशन, 1993 के अनुच्छेद 37 में ही यह निहित है कि HAMA के अंतर्गत संपन्न दत्तक ग्रहणों को HAMA में ही निर्धारित मौजूदा आवश्यकताओं का अनुपालन करना आवश्यक है। साथ वे पूर्वव्यापी रूप से किसी अन्य बाह्य आवश्यकताओं/पूर्व शर्तों के अधीन नहीं हो सकते।

    इसने यह भी उल्लेख किया कि संबंधित ऑस्ट्रेलियाई प्राधिकारियों ने अंतर्देशीय आवागमन के लिए दत्तक ग्रहण को मान्य करने के लिए CARA समर्थन पत्र की मांग करते हुए एक संचार जारी किया था।

    कोर्ट ने कहा,

    "निश्चित रूप से जिला मजिस्ट्रेट (बठिंडा, पंजाब) द्वारा अपेक्षित प्रमाण-पत्र भी पहले ही जारी किए जा चुके हैं। CARA द्वारा समर्थन पत्र/एनओसी प्रदान करने से रोकने का कोई आधार नहीं है।"

    न्यायालय ने GPA पर CARA की दलीलों को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि चूंकि ऑस्ट्रेलियाई प्राधिकारियों द्वारा कोई आपत्ति नहीं उठाई गई, इसलिए यह तर्क देना गलत है कि संबंधित सामान्य पावर ऑफ अटॉर्नी क्वींसलैंड पावर ऑफ अटॉर्नी अधिनियम के अनुसार वैध नहीं है।

    इसमें नरिंदरजीत कौर बनाम भारत संघ एवं अन्य (1997) का हवाला दिया गया, जिसमें पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि माता-पिता के “प्राधिकरण के तहत” किसी बच्चे को गोद लिया जा सकता है।

    Case title: Jasleeniqbal Sidhu & Ors. v. Union of India& Ors.

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