न्यूज़लॉन्ड्री ने अडानी कंपनियों के खिलाफ कंटेंट हटाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी

Shahadat

19 Sept 2025 3:52 PM IST

  • न्यूज़लॉन्ड्री ने अडानी कंपनियों के खिलाफ कंटेंट हटाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी

    डिजिटल न्यूज प्लेटफ़ॉर्म न्यूज़लॉन्ड्री ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) द्वारा जारी उस निर्देश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिसमें डिजिटल न्यूज़ प्लेटफॉर्म को अडानी ग्रुप की कंपनियों से संबंधित कई रिपोर्ट और वीडियो हटाने के लिए कहा गया।

    यह मामला जस्टिस सचिन दत्ता की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध था। हालांकि, इस पर सुनवाई नहीं हुई और अब इसे सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

    अनुच्छेद 226 के तहत दायर रिट याचिका में न्यूज़लॉन्ड्री ने 16 सितंबर को मंत्रालय द्वारा न्यूज़लॉन्ड्री के साथ-साथ ध्रुव राठी, रवीश कुमार, अभिसार शर्मा, देशभक्त (आकाश बनर्जी), परंजॉय गुहा ठाकुरता आदि जैसे कई अन्य स्वतंत्र पत्रकारों और सामग्री निर्माताओं को जारी किए गए पत्र को चुनौती दी। मंत्रालय ने उनसे 16 सितंबर को दिल्ली सिविल कोर्ट द्वारा पारित एकपक्षीय आदेश का पालन करने के लिए "उचित कार्रवाई" करने को कहा था, जिसमें गौतम अडानी और अडानी ग्रुप की कंपनियों के खिलाफ प्रकाशित मानहानिकारक और असत्यापित सामग्री को हटाने का निर्देश दिया गया।

    न्यूज़लॉन्ड्री ने तर्क दिया कि वे सिविल मुकदमे में पक्ष नहीं थे। अदालत द्वारा पारित आदेश में उनके द्वारा प्रकाशित किसी भी सामग्री का उल्लेख नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अदालत के आदेश की जानकारी केवल सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा 16 सितंबर को जारी किए गए पत्र के माध्यम से ही मिली।

    उन्होंने तर्क दिया कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का निर्देश "प्रशासनिक अतिक्रमण" और निजी पक्षों के बीच दीवानी विवाद में पारित आदेश के आधार पर कार्रवाई का निर्देश देकर "कार्यपालिका शक्ति का स्वाभाविक रूप से मनमाना प्रयोग" है।

    याचिकाकर्ता ने कहा,

    "आलोचना आदेश का कोई कानूनी, वैधानिक और/या संवैधानिक आधार नहीं है। सरकार शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांतों का पूर्ण उल्लंघन करते हुए कोर्ट के आदेशों का अनुपालन नहीं करवा सकती।"

    दिल्ली सिविल कोर्ट ने अडानी ग्रुप द्वारा कुछ विशिष्ट पत्रकारों के विरुद्ध दायर दीवानी मानहानि मुकदमे में यह आदेश पारित किया। अदालत के आदेश में "जॉन डो" प्रतिवादी भी शामिल हैं, जिन्होंने समान सामग्री प्रकाशित की है। इसी संदर्भ में, दिल्ली अपीलीय कोर्ट ने गुरुवार को चार पत्रकारों के संबंध में ट्रायल कोर्ट का एकपक्षीय आदेश रद्द कर दिया।

    न्यूज़लॉन्ड्री ने यह भी तर्क दिया कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के निर्देश ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69ए के प्रावधानों का उल्लंघन किया, क्योंकि यह संयुक्त सचिव स्तर के किसी अधिकारी द्वारा जारी नहीं किया गया। साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी (जनता द्वारा सूचना तक पहुंच अवरुद्ध करने की प्रक्रिया और सुरक्षा उपाय) नियम, 2009 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया गया।

    उन्होंने आगे तर्क दिया कि अदालत का आदेश केवल "अपमानजनक" और "गलत रिपोर्टों" पर लागू होता है। इस पहलू पर निर्णय लिए बिना पूरी तरह से हटाने का आदेश जारी नहीं किया जा सकता।

    उन्होंने तर्क दिया कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के निर्देश में उल्लिखित न्यूज़लॉन्ड्री से संबंधित YouTube और Instagram लिंक में कोई भी मानहानिकारक या निराधार रिपोर्ट/आरोप नहीं हैं। कहा गया कि उद्धृत वीडियो में से एक आदित्य ठाकरे का इंटरव्यू था, जिसका अडानी या उनकी कंपनियों से कोई लेना-देना नहीं था। एक अन्य वीडियो को केवल इसलिए हटाने का निर्देश दिया गया, क्योंकि उसके विवरण में कहा गया कि अडानी की धारावी स्लम विकास परियोजना विवादास्पद थी। यह तर्क दिया गया कि मंत्रालय ने अत्यधिक और असंगत कार्रवाई का निर्देश देकर कोर्ट के आदेश के दायरे से बाहर जाकर काम किया।

    Case : Newslaundry v. Union of India WP(C) 14562 of 2025

    Next Story