तलाक केस के बाद भरण-पोषण मांगने पर पत्नी का हक नहीं छीना जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
Praveen Mishra
9 Sept 2025 4:17 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि पत्नी को केवल इसलिए भरण-पोषण (Maintenance) से वंचित नहीं किया जा सकता कि उसने यह राहत पति द्वारा तलाक की याचिका दायर करने के बाद ही मांगी हो।
जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हर्ष वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ पत्नी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें पारिवारिक अदालत ने उसे भरण-पोषण भत्ता (maintenance pendente lite) देने से इनकार कर दिया था, हालांकि बच्चे के लिए 25,000 रुपये प्रतिमाह देने का आदेश दिया था।
पति-पत्नी का विवाह 2009 में हुआ था। विवाह से पहले पत्नी लगभग साढ़े तीन साल काम करती थी और बाद में सिंगापुर चली गई, जहां उसने कुछ समय नौकरी की। लेकिन बच्चे के जन्म के बाद उसने काम नहीं किया और चार महीने बाद भारत लौट आई। उस समय पति सिंगापुर में लगभग 10 लाख रुपये प्रतिमाह कमा रहा था।
पारिवारिक अदालत ने कहा था कि पत्नी काम करने में सक्षम है और काम नहीं करना चाहती, इसलिए वह भरण-पोषण की हकदार नहीं है।
हाईकोर्ट ने इस निष्कर्ष को गलत ठहराया और कहा कि पत्नी बेटी की देखभाल कर रही थी और यह साबित नहीं हुआ कि भारत लौटने के बाद उसे काम का अवसर मिला लेकिन उसने ठुकरा दिया।
कोर्ट ने कहा, “नवजात बच्चे की मां की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है क्योंकि बच्चे को निरंतर देखभाल और स्नेह चाहिए। अपीलकर्ता (पत्नी) ने अकेले ही बच्चे की देखभाल की।”
अदालत ने यह भी कहा कि यह आधार भी गलत है कि पत्नी ने भरण-पोषण की अर्जी केवल पति द्वारा तलाक की याचिका दाखिल करने के बाद दी। कानून की धारा 24 (हिंदू विवाह अधिनियम) के तहत ऐसी अर्जी तलाक की कार्यवाही लंबित रहने के दौरान भी मान्य है।
पति की आय लगभग 10 लाख रुपये प्रतिमाह मानते हुए, हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि वह पत्नी और बच्चे दोनों के लिए 2 लाख रुपये प्रतिमाह भरण-पोषण देगा।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह भरण-पोषण अर्जी दाखिल करने की तारीख से देय होगा।

