दिल्ली हाईकोर्ट ने कार्ति चिदंबरम की जमानत शर्त में ढील दी, विदेश यात्रा के लिए CBI को पूर्व सूचना देने की अनुमति
Praveen Mishra
15 Oct 2025 8:34 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को INX मीडिया भ्रष्टाचार मामले में कार्ति चिदंबरम पर लागू जमानत शर्तों में ढील दी। अब उन्हें विदेशी यात्रा के लिए ट्रायल कोर्ट की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि यात्रा से दो सप्ताह पहले अदालत और CBI को सूचित करना होगा। साथ ही, उन्हें अपनी पूरी यात्रा कार्यक्रम (itinerary) साझा करनी होगी।
जस्टिस रविंदर दुडेजा ने यह भी निर्देश दिया कि चिदंबरम नियमित रूप से अदालत में उपस्थित रहें और ट्रायल को लंबित करने का कोई प्रयास न करें। अदालत ने कहा,
"आवेदन स्वीकार किया जाता है और ऊपर बताए गए शर्तों के अनुसार निपटाया जाता है।"
विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा है। पहले के निर्देश में कहा गया था,
"याचिकाकर्ता ट्रायल कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना भारत छोड़ें नहीं; यदि पासपोर्ट अब तक जमा नहीं किया गया है, तो ट्रायल कोर्ट में जमा करें।"
सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लुथरा ने कार्ति चिदंबरम का प्रतिनिधित्व किया, साथ में अर्शदीप सिंह और अक्षत गुप्ता भी थे। CBI की ओर से SPP अनुपम एस शर्मा पेश हुए।
कार्ति चिदंबरम को मार्च 2018 में जमानत दी गई थी। उस समय निर्देश दिया गया था कि विदेश यात्रा से पहले उन्हें ट्रायल कोर्ट की अनुमति लेनी होगी। CBI ने यह आवेदन खारिज करने का प्रयास किया था और फ्यूजिट बिजनेसमैन व पूर्व राज्यसभा सांसद विजय माल्या के मामले का हवाला दिया था।
हालांकि, चिदंबरम का तर्क था कि वह संसद सदस्य हैं और भागने का कोई जोखिम नहीं है। अदालत ने जमानत देते हुए कहा कि चिदंबरम के भागने की संभावना नहीं है क्योंकि उनके सामाजिक संबंध मजबूत हैं, उनके माता-पिता वरिष्ठ वकील हैं और परिवार की जिम्मेदारी है।
मामले की पृष्ठभूमि:
CBI ने 15 मई 2017 को INX Media Pvt. Ltd., कार्ति चिदंबरम और अन्य के खिलाफ IPC की धारा 120B, 420 और Prevention of Corruption Act, 1988 की धारा 8, 12(2) और 13(1)(d) के तहत FIR दर्ज की थी। चूंकि ये अपराध Prevention of Money Laundering Act, 2002 के तहत आते हैं, इसलिए Directorate of Enforcement (DoE), Ministry of Finance ने 18 मई 2017 को भी मामला दर्ज किया और PMLA के तहत जांच शुरू की गई।
FIR में आरोप था कि INX मीडिया के डायरेक्टर इन्द्राणी मुखर्जी और COO प्रतिम मुखर्जी ने कार्ति चिदंबरम के साथ अवैध षड्यंत्र रचा और FIPB द्वारा अनुमोदित से अधिक FDI प्राप्त करने में गैरकानूनी कार्रवाई की।
आरोप था कि INX मीडिया ने FIPB की अनुमति के बिना डाउनस्ट्रीम निवेश किया, जिसे कार्ति चिदंबरम ने FIPB अधिकारियों को प्रभावित करके सुलझाया। इसके चलते INX मीडिया ने कुछ कंपनियों को भारी भुगतान किया, जिनमें कार्ति चिदंबरम की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी थी।
जांच में यह भी पाया गया कि 26 जून 2008 को ASCPL (कार्ति चिदंबरम की स्वामित्व वाली कंपनी) के नाम एक नकली इनवॉइस Rs. 11,23,600 का निर्माण किया गया था, जिसमें INX मीडिया को परामर्श सेवाएँ दी गईं।
इसके अलावा, सितंबर 2008 में चार अन्य कंपनियों के नाम पर कुल लगभग US $700,000 (लगभग Rs. 3.2 करोड़) की चार और नकली इनवॉइस INX मीडिया पर बनाई गई थीं।

