विवाह में प्रेमी/प्रेमिका के दखल पर पति/पत्नी केस कर सकते हैं : दिल्ली हाईकोर्ट

Praveen Mishra

22 Sept 2025 10:40 AM IST

  • विवाह में प्रेमी/प्रेमिका के दखल पर पति/पत्नी केस कर सकते हैं : दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि किसी जीवनसाथी का प्रेमी/प्रेमिका जानबूझकर और गलत तरीके से विवाह में हस्तक्षेप करता है, तो दूसरा जीवनसाथी उसके खिलाफ हर्जाने का सिविल मुकदमा दायर कर सकता है। कोर्ट ने “Alienation of Affection” की अवधारणा पर चर्चा करते हुए कहा कि ऐसा दावा सिविल कोर्ट में किया जा सकता है, न कि फैमिली कोर्ट में।

    कोर्ट ने माना कि सिविल कार्रवाई तभी टिकाऊ होगी जब वादी साबित करे कि (i) प्रतिवादी का आचरण जानबूझकर और गलत था तथा उसने वैवाहिक रिश्ते में हस्तक्षेप किया, (ii) इस आचरण से वैधानिक चोट का स्पष्ट कारण बना, और (iii) हुआ नुकसान तार्किक रूप से आंका जा सकता है।

    जस्टिस पुरषेन्द्र कुमार कौरा ने कहा कि पति-पत्नी को वैवाहिक साथ, अंतरंगता और संगति का अधिकार है और किसी तीसरे व्यक्ति को ऐसे रिश्ते में जानबूझकर हस्तक्षेप कर पति/पत्नी के स्नेह को तोड़ने का अधिकार नहीं है। हालांकि, यदि जीवनसाथी ने पूरी तरह स्वेच्छा से और बिना दबाव किसी रिश्ते को चुना है, तो तीसरे पक्ष पर ज़िम्मेदारी नहीं डाली जा सकती।

    कोर्ट ने स्पष्ट किया कि Joseph Shine मामले में सुप्रीम कोर्ट ने व्यभिचार (adultery) को अपराध से मुक्त किया था, लेकिन इससे यह छूट नहीं मिलती कि विवाहेतर संबंधों पर कोई सिविल परिणाम नहीं होंगे। यानी, यह अपराध नहीं है लेकिन इससे सिविल दायित्व पैदा हो सकता है।

    साथ ही, कोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट्स एक्ट की धारा 7(d) का दायरा सीमित है और यह केवल वैवाहिक संबंध से उत्पन्न विवादों पर लागू होता है। वर्तमान मामला एक tortious action है, इसलिए इसे सिविल कोर्ट सुन सकती है।

    इस आधार पर हाईकोर्ट ने पत्नी की याचिका पर आपत्ति खारिज कर पति और उसकी कथित प्रेमिका को समन जारी किए।

    Next Story