अंतर्जातीय विवाह राष्ट्रीय हित में, इन्हें पारिवारिक या सांप्रदायिक हस्तक्षेप से बचाया जाना चाहिए: दिल्ली हाईकोर्ट
Shahadat
8 Nov 2025 8:43 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अंतर्जातीय विवाह राष्ट्रीय हित में हैं। इन्हें पारिवारिक या सांप्रदायिक हस्तक्षेप से बचाया जाना चाहिए।
जस्टिस संजीव नरूला ने कहा कि जब दो वयस्क सहमति से विवाह या सहवास का निर्णय लेते हैं तो न तो परिवार और न ही समुदाय कानूनी रूप से उस विकल्प में बाधा डाल सकता है या उन पर दबाव, सामाजिक प्रतिबंध या धमकियां डाल सकता है।
कोर्ट ने कहा,
"सुप्रीम कोर्ट ने माना कि भारत में जाति का सामाजिक प्रभाव अभी भी मज़बूत है। अंतर्जातीय विवाह एकीकरण को बढ़ावा देकर और जातीय विभाजन को कम करके मूल्यवान संवैधानिक और सामाजिक कार्य करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे विवाह राष्ट्रीय हित में हैं और इन्हें किसी भी पारिवारिक या सांप्रदायिक हस्तक्षेप से कड़ा संरक्षण मिलना चाहिए।"
जस्टिस नरूला ने यह टिप्पणी अंतर्जातीय जोड़े को पुलिस सुरक्षा प्रदान करते हुए की, जो पिछले ग्यारह वर्षों से एक-दूसरे के साथ रिश्ते में थे और अपनी शादी को औपचारिक रूप देने का इरादा रखते थे।
उनका कहना था कि महिला की माँ, बहन, बहनोई और अन्य रिश्तेदार उनके रिश्ते का विरोध कर रहे थे और धमकियां दे रहे थे।
उन्होंने दिल्ली पुलिस को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके विवाह के निर्णय में हस्तक्षेप को रोकने के निर्देश देने की मांग की।
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि एक पूर्व शिकायत के आधार पर नामित कांस्टेबल का संपर्क पहले ही दंपति के साथ साझा किया जा चुका है।
कोर्ट ने संबंधित पुलिस थाने के एसएचओ को निर्देश दिया कि वे दंपति का संक्षिप्त खतरा-आकलन तुरंत करें।
इसमें आगे कहा गया कि इसके परिणाम के आधार पर अधिकारी को कानून द्वारा अनुमत निवारक कदम उठाने चाहिए, जिनमें उचित डायरी प्रविष्टियां, दंपति के वर्तमान निवास के पास गश्त और उत्पीड़न या धमकी को रोकने के लिए आवश्यक अन्य उपाय शामिल हैं, लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा,
"यदि याचिकाकर्ता प्रतिवादी नंबर 2 से 6 या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी भी धमकी या हस्तक्षेप के प्रयास की रिपोर्ट करते हैं तो पुलिस डीडी प्रविष्टि दर्ज करेगी, तत्काल सुरक्षा प्रदान करेगी और कानून के अनुसार आगे बढ़ेगी।"
इसमें आगे कहा गया,
"ये निर्देश निवारक और सुरक्षात्मक प्रकृति के हैं। प्रतिवादी नंबर 2 से 6 के विरुद्ध लगाए गए आरोपों की सत्यता या पक्षकारों के बीच किसी भी प्रकार के दीवानी या व्यक्तिगत विवाद पर कोई राय व्यक्त नहीं की गई।"
Title: AANCHAL AND ANR v. THE STATE NCT OF DELHI AND ORS

