नकली आईफ़ोन का आयात ब्रांड इक्विटी को कमज़ोर करता है और उपभोक्ता कल्याण को प्रभावित करता है: दिल्ली हाईकोर्ट

Shahadat

26 Aug 2025 11:00 AM IST

  • नकली आईफ़ोन का आयात ब्रांड इक्विटी को कमज़ोर करता है और उपभोक्ता कल्याण को प्रभावित करता है: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने नकली आईफ़ोन के कथित आयात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के आयात से न केवल ब्रांड मालिकों पर असर पड़ता है, बल्कि उपभोक्ता कल्याण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, क्योंकि पुराने और इस्तेमाल किए गए उत्पादों को नए के रूप में पुनः ब्रांड किया जा सकता है।

    जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस शैल जैन की खंडपीठ ने इस प्रकार कहा,

    "भारत में उपभोक्ताओं को इस्तेमाल किए गए, सेकेंड हैंड या नकली उत्पादों के लिए इस धारणा के तहत अधिक भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा सकता है कि वे मूल ब्रांडेड उत्पाद हैं। ऐसे आयात भारत में मूल निर्माताओं की ब्रांड इक्विटी और साख पर भी प्रभाव डालते हैं।"

    इस मामले में आयातित वस्तुओं की गलत घोषणा के कारण कूरियर के माध्यम से सीमा शुल्क निकासी में लगे अपीलकर्ता का लाइसेंस रद्द कर दिया गया।

    यह आरोप लगाया गया कि अपीलकर्ता ने आयात किए जा रहे सामानों की मात्रा, मूल्य, विवरण और वर्गीकरण की गलत घोषणा की थी।

    यह गलत घोषणा की गई कि ये केवल आई-फ़ोन के पुर्जे थे, जबकि वास्तव में ये सामान पूरे आई-फ़ोन थे, जिन्हें आयात किया जा रहा था। इन्हें स्पेयर पार्ट्स बताकर आयात किया गया।

    अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि ऐसे मामलों में ज़िम्मेदारी आयातकों की होती है और कूरियर एजेंसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इसलिए उसके कूरियर रजिस्टर्ड रद्द करना अस्वीकार्य है।

    प्रतिवादी के वकील ने तर्क दिया कि अपीलकर्ता दस्तावेज़ों की जालसाजी का दोषी है और आयातकों से भी जुड़ा हुआ है, इसलिए वह निर्दोष होने का दावा नहीं कर सकता।

    शुरुआत में हाईकोर्ट ने एप्पल इंक. द्वारा दिए गए पत्र का अवलोकन किया, जिसमें दावा किया गया कि सामान नकली था।

    इस पृष्ठभूमि में न्यायालय ने कहा,

    "इस प्रकार, माल के मूल्य, उसकी प्रकृति और इस तथ्य के बारे में स्पष्ट रूप से गलत घोषणा की गई कि ये आई-फ़ोन के स्पेयर पार्ट्स हैं। माल की डिलीवरी का प्रमाण भी दर्शाता है कि हालांकि, माल अलग-अलग गंतव्यों, अर्थात् नागपुर और कलकत्ता के लिए भेजा गया, अपीलकर्ता ने उसे एक ही व्यक्ति को दिया था। CESTAT के अनुसार, ये तथ्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि अपीलकर्ता गलत घोषणा और आयातकों द्वारा की गई अवैधता में शामिल है... CESTAT द्वारा 22 मार्च, 2024 को पारित अंतिम आदेश हस्तक्षेप योग्य नहीं है।"

    फिर भी न्यायालय ने कहा कि 2031 तक की पूरी अवधि के लिए कूरियर रजिस्ट्रेशन रद्द करना 'अनुपातहीन' है, क्योंकि अपीलकर्ता की मिलीभगत तो थी, लेकिन वह अंतिम लाभार्थी नहीं था।

    इस प्रकार, न्यायालय ने निर्देश दिया कि कूरियर रजिस्ट्रेशन निरस्तीकरण 18 अगस्त, 2023 से 1 सितंबर, 2025 तक प्रभावी रहेगा।

    न्यायालय ने कहा,

    जहां तक प्रतिभूति की ज़ब्ती का प्रश्न है, 10 लाख रुपये में से 5 लाख रुपये ज़ब्त कर लिए जाएंगे और शेष 5 लाख रुपये को अपीलकर्ता को रजिस्टर्ड कूरियर एजेंसी के रूप में कार्य करने की अनुमति देने के उद्देश्य से प्रतिभूति के रूप में माना जाएगा।

    हालांकि, न्यायालय ने CESTAT द्वारा लगाए गए ₹50,000 के जुर्माने को बरकरार रखा।

    Case title: M/S ECG Easy Connect Logistics Pvt. Ltd v. Commissioner Of Customs

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