हाईकोर्ट ने CBI गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली अरविंद केजरीवाल की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
Shahadat
17 July 2024 4:30 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। उक्त याचिका में शराब नीति मामले से संबंधित भ्रष्टाचार मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई।
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर भी आदेश सुरक्षित रखा।
सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी, एन हरिहरन और विक्रम चौधरी ने केजरीवाल का प्रतिनिधित्व किया। विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) डीपी सिंह CBI के वकील थे।
सिंघवी ने तर्क दिया कि CBI द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी एक 'बीमा गिरफ्तारी' थी, जो कि धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) के तहत ED मामले के संबंध में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम जमानत के बाद की बात है।
सिंघवी ने जोर देकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम जमानत के बावजूद, केजरीवाल "बीमा गिरफ्तारी के कारण फिर से शुरुआती स्थिति में आ गए हैं।"
उन्होंने कहा,
"जो लोग चाहते हैं, चाहे किसी भी तरह से वह सलाखों के पीछे हैं।"
सिंघवी ने आगे कहा कि केजरीवाल के पक्ष में तीन रिहाई आदेश हैं। इसलिए सुझाव दिया कि CBI की गिरफ्तारी बीमा गिरफ्तारी है। उन्होंने बताया कि केजरीवाल को गिरफ्तार करने के लिए ट्रायल कोर्ट के समक्ष CBI की याचिका में कोई प्रावधान नहीं बताया गया, जिसके तहत वे गिरफ्तारी करना चाहते थे, न ही केजरीवाल को कोई पूर्व सूचना दी गई थी।
ट्रायल कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए सिंघवी ने कहा कि विवेक का प्रयोग केवल एक पैराग्राफ में है, केजरीवाल को सुनवाई का अवसर दिए बिना या कोई पूर्व सूचना दिए बिना। उन्होंने तर्क दिया कि CBI के पास मामले में केजरीवाल से पूछताछ के दौरान और उनकी गिरफ्तारी के समय एक ही सबूत थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि केजरीवाल जमानत पाने के लिए ट्रिपल टेस्ट पास करते हैं यानी, सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का कोई जोखिम नहीं है, उनके भागने का जोखिम नहीं है और वे जांच में सहयोग करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि केजरीवाल का ब्लड शुगर लेवल कम हो गया है।
CBI के वकील डीपी सिंह ने कहा कि 'बीमा गिरफ्तारी' शब्द का इस्तेमाल उचित नहीं था। उन्होंने तर्क दिया कि अदालत के समक्ष कई याचिकाएं और आवेदन आए हैं। आज तक CBI द्वारा किसी भी उल्लंघन के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की गई। केजरीवाल को नोटिस न दिए जाने के मुद्दे पर सिंह ने तर्क दिया कि दिल्ली जेल नियम के अनुसार अदालत की हिरासत में किसी व्यक्ति से पूछताछ करने के लिए अदालत की अनुमति लेना अनिवार्य है।
उन्होंने कहा कि CBI को केजरीवाल को पहले से नोटिस देने की आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने कहा,
"24 जून को मैंने उनकी जांच की, लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया... अगर कोई बीमा गिरफ्तारी होती तो मैं धारा 41 के तहत ही गिरफ्तारी के अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकता था। लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। हम वापस आते हैं और उनके बयान का आकलन करते हैं। फिर हम तय करते हैं कि हमें उन्हें गिरफ्तार करना है।"
सिंह ने आगे तर्क दिया कि CBI को आरोपी को बुलाने का समय तय करने का अधिकार है। उन्होंने बताया कि केजरीवाल की भूमिका पहले स्पष्ट नहीं थी, क्योंकि आबकारी नीति आबकारी मंत्री के अधिकार क्षेत्र में आती थी। हालांकि, जब भी उनकी भागीदारी प्रासंगिक हुई, CBI ने उन्हें बुलाया।
उन्होंने कहा कि मामले में शामिल मुख्य लोगों अमनदीप ढल्ल, मनीष सिसोदिया और के कविता की जमानत हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। सिंह ने कहा कि केजरीवाल पूछताछ के दौरान दूसरों पर आरोप लगाकर CBI की जांच को पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हैं।
सिंह ने तर्क दिया कि जमानत देने के लिए कोर्ट को चार्जशीट पर गौर करना होगा। उन्होंने कहा कि CBI केजरीवाल के खिलाफ चार्जशीट तैयार करने के अंतिम चरण में है। सिंह ने तर्क दिया कि अगर जमानत पर पहले ट्रायल कोर्ट में बहस की जाए तो यह तर्कसंगत होगा।
उन्होंने कहा,
"वह कोर्ट पहली कोर्ट होनी चाहिए, जिसके पास जमानत देने या न देने के लिए तर्कसंगत कारण होने चाहिए। मैं जमानत पर बहस नहीं कर रहा हूं, क्योंकि मैं गिरफ्तारी कानूनी थी या नहीं, इस पर आपके फैसले का इंतजार करूंगा।"
केजरीवाल की गिरफ्तारी और अंतरिम जमानत को चुनौती देने वाली याचिका पर आदेश सुरक्षित रखते हुए जस्टिस कृष्णा ने मुख्यमंत्री की नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई 29 जुलाई को तय की।
केजरीवाल ने ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटाए बिना जमानत मांगने के लिए सीधे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
वह कथित घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में न्यायिक हिरासत में हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने धन शोधन मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी, जबकि प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को एक बड़ी बेंच को भेज दिया।
केस टाइटल: अरविंद केजरीवाल बनाम सीबीआई