दिल्ली दंगों को पांच साल हो गए, किसी व्यक्ति को कितने समय तक जेल में रखा जा सकता है? तस्लीम अहमद की जमानत पर याचिका हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा

Shahadat

8 July 2025 10:49 AM

  • दिल्ली दंगों को पांच साल हो गए, किसी व्यक्ति को कितने समय तक जेल में रखा जा सकता है? तस्लीम अहमद की जमानत पर याचिका हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा

    दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस से पूछा कि 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों को पांच साल हो गए, तो किसी आरोपी को कितने समय तक जेल में रखा जा सकता है?

    जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने दंगों के लिए बड़ी साजिश का आरोप लगाने वाले UAPA मामले में आरोपी तस्लीम अहमद की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस के एसपीपी अमित प्रसाद से यह सवाल पूछा।

    अहमद की ओर से पेश हुए एडवोकेट महमूद प्राचा द्वारा मुकदमे में देरी के आधार पर दलीलें दिए जाने के बाद यह सवाल पूछा गया।

    प्राचा ने कहा कि वह मामले के गुण-दोष पर दलीलें नहीं देंगे, बल्कि देरी और मुकदमे में देरी के आधार पर समानता का तर्क देंगे।

    उन्होंने कहा कि सह-आरोपी देवांगना कलिता, आसिफ इकबाल तन्हा और नताशा नरवाल को 2021 में मुकदमे में देरी के आधार पर जमानत दी गई, यानी एक साल और दो महीने हिरासत में रहने के बाद।

    प्राचा ने कहा,

    “उन्हें इस तथ्य के आधार पर जमानत दी गई कि मुकदमा पूरा नहीं होगा और इसमें काफी समय लगेगा। तब से पांच साल बीत चुके हैं… उसे [अहमद] 24 जून, 2020 को गिरफ्तार किया गया था। उन्हें [सह-आरोपी जमानत पर] अप्रैल में गिरफ्तार किया गया था… मैं पहले ही पाँच साल [जेल में] बिता चुका हूं।”

    उन्होंने आगे कहा कि अहमद ने कभी भी मुकदमे में एक दिन की भी देरी नहीं की, जो उनके मामले को अन्य सह-आरोपियों से अलग बनाता है।

    उन्होंने आगे कहा,

    “मैंने एक दिन का भी स्थगन नहीं लिया। मुकदमे में मेरी वजह से एक दिन की भी देरी नहीं हुई। मैंने अपना बचाव भी खत्म कर दिया है... मैंने CrPC की धारा 207 के तहत अपना आवेदन भी नहीं दिया।”

    प्राचा ने यह भी कहा कि पिछले साल अक्टूबर से अब तक केवल पांच सह-आरोपियों ने आरोप पर अपनी दलीलें पूरी की, अहमद एकमात्र आरोपी है, जिसने एक दिन में 10-15 मिनट के भीतर अपनी दलीलें पूरी कीं।

    इस स्तर पर बेंच ने एसपीपी प्रसाद से पूछा:

    "पांच साल बीत चुके हैं। यहां तक ​​कि आरोप पर बहस भी पूरी नहीं हुई। इस तरह के मामलों में 700 गवाहों के साथ एक व्यक्ति को कितने समय तक जेल में रखा जा सकता है?"

    इस पर प्रसाद ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष को मुकदमे में देरी के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने आरोपी व्यक्तियों द्वारा लिए गए स्थगन को दर्ज करते हुए विभिन्न ट्रायल कोर्ट के आदेशों के माध्यम से अदालत को बताया।

    इसके बाद अदालत ने प्राचा से पूछा कि क्या मामले में सह-आरोपियों को जमानत देने के लिए केवल ट्रायल में देरी को ही कारण बताया गया। कुछ प्रश्नों के बाद प्राचा ने प्रस्तुत किया कि वह देरी पर समानता पर अपनी दलील छोड़ रहे हैं। इसे केवल ट्रायल में देरी तक ही सीमित रख रहे हैं।

    एसपीपी प्रसाद ने प्रस्तुत किया कि ट्रायल कोर्ट द्वारा तय किए गए तस्लीम की जमानत याचिका को चुनौती नहीं दी गई। इस प्रकार, अंतिम रूप प्राप्त हो गया था। उन्होंने कहा कि स्पेशस जज ने मामले में तस्लीम की संलिप्तता पर प्रथम दृष्टया निष्कर्ष निकाला है।

    इसके बाद प्राचा ने कहा कि वे अन्य आरोपियों के साथ तथ्यों की समानता के आधार पर अपनी दलीलें नहीं दे रहे हैं, जिन्हें जमानत दी गई। उन्होंने कहा कि वे मामले में गवाहों की कुल संख्या जैसे जमानत के आधार पर भी जोर नहीं दे रहे हैं, जिस पर अन्य आरोपियों ने समन्वय पीठ के समक्ष तर्क दिया।

    प्राचा ने कहा कि उनका तर्क यह है कि अहमद को 24 जून, 2020 को गिरफ्तार किया गया और उसने ट्रायल कोर्ट के समक्ष एक भी स्थगन नहीं लिया।

    उन्होंने यह भी कहा कि अहमद को इस तथ्य पर विचार करते हुए जमानत दी जानी चाहिए कि वह पांच साल से हिरासत में है। उसने एक दिन के लिए भी प्रक्रिया में देरी नहीं की।

    अब मामले की सुनवाई कल सुबह 10:30 बजे होगी।

    2020 की FIR 59 दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA) के तहत विभिन्न अपराधों के तहत दर्ज की गई थी।

    एक समन्वय पीठ सह आरोपी उमर खालिद, शरजील इमाम, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, शादाब अहमद, अतहर खान, खालिद सैफी और गुलफिशा फातिमा द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही है।

    मामले में ताहिर हुसैन, उमर खालिद, खालिद सैफी, इशरत जहां, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा, शिफा-उर-रहमान, आसिफ इकबाल तन्हा, शादाब अहमद, तस्लीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद। सलीम खान, अतहर खान, सफूरा जरगर, शरजील इमाम, फैजान खान और नताशा नरवाल आरोपी हैं।

    Title: Tasleem Ahmed v. State

    Next Story