दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस अमित शर्मा ने उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया

Shahadat

22 July 2024 6:03 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस अमित शर्मा ने उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया

    दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस अमित शर्मा ने सोमवार को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA Act) के तहत दर्ज दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश के मामले में उमर खालिद द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया।

    मामले की सुनवाई जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की खंडपीठ ने की, जिसने अन्य आरोपियों द्वारा दायर जमानत याचिकाओं के साथ अपील को 24 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

    अदालत ने कहा,

    "एक्टिंग चीफ जस्टिस के आदेशों के अधीन इस मामले को उस पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए, जिसके सदस्य जस्टिस अमित शर्मा नहीं हो।"

    जस्टिस शर्मा ने पहले सह-आरोपियों की पहले से लंबित जमानत याचिकाओं पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। वकील के रूप में वह NIA के लिए एसपीपी के रूप में विभिन्न UAPA Act मामलों में पेश होते रहे हैं।

    खालिद की पहली जमानत याचिका को 28 मई को ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दिया था। उन्होंने हाईकोर्ट के समक्ष अपील में उक्त आदेश को चुनौती दी।

    खालिद ने सुप्रीम कोर्ट से राहत मांगने वाली अपनी याचिका वापस लेने के बाद नई जमानत याचिका दायर की थी। खालिद ने अक्टूबर 2022 में दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी, जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार किया गया था।

    इसके बाद खालिद ने सीआरपीसी की धारा 437 के साथ UAPA Act की धारा 43डी (5) के तहत एक नया आवेदन दायर किया।

    नियमित जमानत की उनकी पहली याचिका मार्च 2022 में ट्रायल कोर्ट ने खारिज की थी।

    खालिद सितंबर 2020 से सलाखों के पीछे है, फरवरी 2020 में राष्ट्रीय राजधानी में भड़की सांप्रदायिक हिंसा से जुड़ी बड़ी साजिश में कथित संलिप्तता के लिए UAPA Act के तहत अपने मुकदमे का इंतजार कर रहा है।

    उस पर पिंजरा तोड़ की सदस्य देवांगना कलिता और नताशा नरवाल, जामिया मिलिया इस्लामिया के स्टूडेंट आसिफ इकबाल तन्हा और स्टूडेंट एक्टिविस्ट गुलफिशा फातिमा सहित कई अन्य लोगों के साथ आरोप लगाए गए हैं।

    इस मामले में जिन अन्य लोगों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया गया, उनमें पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां, जामिया समन्वय समिति के सदस्य सफूरा जरगर, मीरान हैदर और शिफा-उर-रहमान, आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन, कार्यकर्ता खालिद सैफी, शादाब अहमद, तसलीम अहमद, मोहम्मद सलीम खान और अतहर खान शामिल हैं।

    खालिद पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA Act) की धारा 13, 16, 17 और 18, शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 25 और 27 और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, 1984 की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया।

    केस टाइटल: उमर खालिद बनाम राज्य

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