Liquor Policy Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपों पर बहस शुरू करने के खिलाफ अरुण पिल्लई की याचिका खारिज करने के ट्रायल कोर्ट का आदेश बरकरार रखा
Shahadat
8 Jun 2024 9:46 AM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कथित आबकारी नीति घोटाले (Liquor Policy Case) में आरोपी हैदराबाद के व्यवसायी अरुण रामचंद्र पिल्लई द्वारा केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा जांच पूरी होने तक आरोपों पर बहस शुरू करने के खिलाफ दायर याचिका खारिज करने के ट्रायल कोर्ट का आदेश बरकरार रखा।
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि 22 मार्च को पारित विवादित आदेश में कोई खामी नहीं है। ट्रायल कोर्ट ने पिल्लई की शिकायत पर पहले ही ध्यान दिया।
अदालत ने कहा,
"ट्रायल कोर्ट ने पूरी निष्पक्षता के साथ अपने आदेश में पहले ही उल्लेख किया कि यद्यपि 16 अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप-पत्र दाखिल किया जा चुका है तथा आरोपों पर बहस सुनने में काफी समय लगेगा, यदि किसी अन्य अभियुक्त के विरुद्ध कोई पूरक आरोप-पत्र दाखिल किया जाता है तो आरोपों पर बहस पर सुनवाई रोकी जा सकती है तथा ऐसे आरोप-पत्र तथा विश्वसनीय दस्तावेजों की प्रतियां सभी अभियुक्तों को उपलब्ध कराई जाएंगी। वर्तमान अभियुक्त को भी रिकॉर्ड में लाए गए नए भौतिक साक्ष्य के संबंध में अपनी दलीलें रखने का अवसर मिलेगा।"
पिल्लई का कहना था कि मामले में जांच जारी है तथा 15 महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी CBI द्वारा जांच पूरी नहीं की गई। उन्होंने तर्क दिया कि आरोपित आदेश मनमाना, अनुचित, अस्थिर तथा उनके मौलिक एवं कानूनी अधिकारों का उल्लंघन करने वाला है।
उन्होंने आगे तर्क दिया कि कथित आपराधिक साजिश के कई पहलुओं पर जांच अभी भी जारी है तथा यह संभव है कि CBI आगे की जांच के बाद अतिरिक्त अभियुक्तों को शामिल कर सकती है। उन्होंने प्रार्थना की कि ट्रायल कोर्ट को आगे की जांच पूरी होने तक आरोपों पर बहस स्थगित करने का निर्देश दिया जाए और बीआरएस नेता के कविता के मामले में CBI द्वारा जिन दस्तावेजों पर भरोसा किया गया, उन्हें सीआरपीसी की धारा 207 के अनुसार मुहैया कराया जाए, क्योंकि उन पर आरोप है कि वे कविता से जुड़े हुए हैं।
अदालत ने कहा कि पिल्लई के खिलाफ मुख्य आरोपों में से एक यह है कि वे के कविता की ओर से काम कर रहे थे और विजय नायर सहित अन्य सह-आरोपी व्यक्तियों के साथ संवाद कर रहे थे। उन्होंने मेसर्स इंडो स्प्रिट्स द्वारा अर्जित कुल मुनाफे में से 65% लाभ प्राप्त किया।
इसमें कहा गया कि भले ही पिल्लई के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया, लेकिन के कविता के मामले में इसे अभी तक दायर नहीं किया गया। चूंकि दोनों कथित तौर पर एक-दूसरे के साथ घनिष्ठ साजिश में थे, इसलिए पिल्लई के लिए आरोपों पर बहस करने से पहले के कविता के खिलाफ अभियोजन पक्ष द्वारा एकत्र की गई सामग्री, आरोपों और सामग्री का अध्ययन करना महत्वपूर्ण होगा।
तदनुसार, न्यायालय ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए:
1. इसलिए अब यह आदेश दिया जाता है कि जब CBI ट्रायल कोर्ट के समक्ष उक्त पूरक आरोप-पत्र दाखिल करेगी तो सुनवाई के पहले दिन ही जांच अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि उक्त आरोप-पत्र की हार्ड कॉपी तथा उसकी डिजिटल कॉपी भी ट्रायल कोर्ट के समक्ष आरोपियों को उपलब्ध कराई जाए, जिससे प्री-ट्रायल कार्यवाही का समय बचाया जा सके।"
2. आरोपी व्यक्ति उक्त प्रतियों को देख सकते हैं तथा हार्ड कॉपी तथा डिजिटल कॉपी में किसी भी कमी के बारे में जांच अधिकारी को दो दिन के भीतर सूचित कर सकते हैं।
3. आरोपियों द्वारा भी दस्तावेजों की जांच में कोई अनावश्यक देरी नहीं की जानी चाहिए, जिससे शीघ्र सुनवाई सुनिश्चित की जा सके।
4. कई आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं, इसलिए यह उनके हित में भी होगा कि दस्तावेजों की जांच के लिए लंबी तारीखें या स्थगन न मांगे जाएं।
5. ट्रायल कोर्ट से अनुरोध है कि उपरोक्त समय-सीमा को ध्यान में रखते हुए आरोप पर बहस तुरंत सुनी जाए तथा प्रत्येक आरोपी को आरोप पर बहस के लिए ब्लॉक तिथियां दी जाएं।
केस टाइटल: अरुण रामचंद्रन पिल्लई बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो