गलत कानूनी सलाह के आधार पर यात्री को उपायहीन नहीं छोड़ा जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट, गोल्ड ज़ब्ती पर समय-सीमा पार अपील की अनुमति
Praveen Mishra
25 Nov 2025 6:14 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में थाईलैंड से लौटे एक यात्री को सीमा शुल्क विभाग द्वारा ज़ब्त की गई सोने की चेन के खिलाफ समय-सीमा पार अपील (time-barred appeal) दाखिल करने की अनुमति दी है।
यात्री जुलाई 2023 से अपनी सोने की चेन की निरंतर हिरासत को चुनौती दे रहा था। उसका कहना था कि कस्टम अधिकारियों ने उससे एक प्री-प्रिंटेड फॉर्म पर हस्ताक्षर करवा लिए, जिसमें शो-कॉज़ नोटिस और व्यक्तिगत सुनवाई की छूट (waiver) थी, और बाद में उसकी चेन को स्थायी रूप से ज़ब्त कर ₹60,000 का जुर्माना लगा दिया गया। यात्री ने दावा किया कि अधिकारियों ने उसे गलत सलाह दी कि सोने की चेन पर 'अबसोल्यूट कॉन्फिस्केशन' के आदेश के बाद कोई कानूनी उपाय उपलब्ध नहीं है।
विभाग ने तर्क दिया कि ज़ब्ती आदेश सितंबर 2023 से यात्री के पास है, जो अब अंतिम हो चुका है। हालांकि, जस्टिस प्रभावा एम. सिंह और जस्टिस शैल जैन की खंडपीठ ने कहा कि यदि यात्री ने गलत कानूनी सलाह के आधार पर कदम नहीं उठाया, तो उसे पूरी तरह उपायहीन नहीं छोड़ा जा सकता।
अदालत ने उसे 10 जनवरी 2026 तक अपील दाखिल करने की अनुमति दी। साथ ही, अदालत ने कस्टम अधिकारियों को Makhinder Chopra v. Commissioner of Customs (2025) के फैसले का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन आवश्यक है और शो-कॉज़ नोटिस व सुनवाई छोड़ने हेतु मानक प्रारूप के हस्ताक्षर कस्टम अधिनियम, 1962 की धारा 124 की वैधानिक आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते।

