दिल्ली हाईकोर्ट ने विवाहों के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन न करने की आलोचना की
Shahadat
6 March 2025 4:35 AM

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र और दिल्ली सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का पालन न करने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की, जिसमें निर्देश दिया गया कि सभी विवाहों का अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन किया जाना चाहिए, चाहे वे किसी भी धर्म के हों।
इस मुद्दे पर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने टिप्पणी की,
"यह वास्तव में दयनीय है। यह भयावह है कि आप सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कैसे नहीं कर रहे हैं।"
न्यायालय ने केंद्र और दिल्ली सरकार को सीमा बनाम अश्विनी कुमार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2006 के फैसले का अनुपालन करने का निर्देश दिया।
उक्त निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि विभिन्न धार्मिक संप्रदायों से संबंधित सभी व्यक्तियों के विवाहों को उनके संबंधित राज्यों में अनिवार्य रूप से पंजीकृत किया जाना चाहिए, जहां ऐसे विवाह संपन्न होते हैं।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार ने विवाहों के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन के लिए दिल्ली (विवाह का अनिवार्य पंजीकरण) आदेश, 2014 जारी किया था।
न्यायालय ने विवाह रजिस्ट्रेशन के "केंद्रीकृत डेटाबेस" के लिए नियम तैयार करने की मांग करने वाले आकाश गोयल द्वारा दायर जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया।
खंडपीठ ने संबंधित केंद्रीय मंत्रालय और दिल्ली सरकार को मामले पर गौर करने और कानून के अनुसार उचित कदम उठाने तथा यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का अनुपालन हो।
न्यायालय ने दोनों सरकारों को उचित कदम उठाने के लिए तीन महीने का समय दिया तथा उन्हें सुनवाई की अगली तारीख 09 जुलाई से पहले अपने निर्णय दाखिल करने को कहा।
याचिका में कहा गया कि उचित कानून के अभाव में विवाहों के रजिस्ट्रेशन के लिए उपलब्ध तंत्र न केवल अपर्याप्त है, बल्कि यह विवाहों के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन के उद्देश्य को भी पूरा नहीं करता है।
केंद्र को केंद्रीकृत डेटाबेस बनाए रखने तथा इसे नागरिकों को पहले से उपलब्ध कराने का निर्देश देने की मांग की गई, जिससे विवाह के लिए आगे बढ़ने से पहले परिवारों के सही ठिकाने का पता चल सके।
याचिका में आगे दिल्ली अनिवार्य विवाह रजिस्ट्रेशन आदेश, 2014 के कुछ खंडों को संशोधित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई, जिससे संबंधित अधिकारियों के समक्ष विवाहित जोड़े और गवाह की वर्चुअल उपस्थिति के साथ विवाहों के ऑनलाइन पंजीकरण की अनुमति दी जा सके।
पिछले साल नवंबर में एकल जज ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत होने वाली शादियां दिल्ली (विवाह का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन) आदेश, 2014 के अनुसार ऑनलाइन रजिस्टर्ड हों।
अदालत ने मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से इस मुद्दे पर गौर करने और 04 जुलाई, 2024 को पारित फैसले का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया, जिसमें दिल्ली सरकार को सरकारी ऑनलाइन पोर्टल पर मुस्लिम शादियों के रजिस्ट्रेशन को सक्षम करने के लिए तुरंत कदम उठाने का निर्देश दिया गया था।
केस टाइटल: आकाश गोयल बनाम यूओआई और अन्य।