बैंक के गिरवी अधिकारों को लागू करने से नहीं रोक सकता SC/ST Act: दिल्ली हाईकोर्ट ने NCST के समन पर लगाई रोक

Amir Ahmad

24 Oct 2025 1:24 PM IST

  • बैंक के गिरवी अधिकारों को लागू करने से नहीं रोक सकता SC/ST Act: दिल्ली हाईकोर्ट ने NCST के समन पर लगाई रोक

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि प्रथम दृष्टया, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC/ST Act) के प्रावधानों का उपयोग किसी बैंक को गिरवी या सुरक्षा हित लागू करने से रोकने के लिए नहीं किया जा सकता।

    जस्टिस सचिन दत्ता की सिंगल बेंच ने एक्सिस बैंक के शीर्ष अधिकारियों को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) द्वारा जारी किए गए समन पर रोक लगाते हुए यह टिप्पणी की।

    कोर्ट ने अवलोकन किया,

    "प्रथम दृष्टया, वर्तमान मामले के तथ्यों के संदर्भ में अत्याचार अधिनियम की धारा 3(1)(f)$ और (g) आकर्षित नहीं होती हैं, क्योंकि इन्हें याचिकाकर्ता के गिरवी अधिकार/सुरक्षा हित के प्रयोग को रोकने/बाधित करने के लिए लागू नहीं किया जा सकता।"

    यह विवाद 2013 में सुन्देव अप्लायंसेज लिमिटेड को एक्सिस बैंक द्वारा स्वीकृत 6.68 करोड़ की ऋण सुविधा से उत्पन्न हुआ। इस ऋण के लिए महाराष्ट्र के वसई, ठाणे स्थित एक संपत्ति को समतुल्य गिरवी के रूप में रखा गया।

    जब कर्जदार ने भुगतान में चूक की तो 2017 में खाते को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) घोषित कर दिया गया। बैंक ने SARFAESI Act के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग किया और गिरवी रखी गई संपत्ति का भौतिक कब्ज़ा लेने के लिए जनवरी 2024 में पालघर के जिला मजिस्ट्रेट से आदेश प्राप्त किया।

    जब वसूली प्रक्रिया चल रही थी तभी एक प्रतिवादी ने 2025 में वसई में दीवानी मुकदमा दायर कर संपत्ति पर स्वामित्व का दावा किया और बैंक को उससे व्यवहार करने से रोकने की मांग की। दीवानी अदालत ने कोई अंतरिम राहत नहीं दी। इसके बाद उसी पक्ष ने NCST से संपर्क किया और आरोप लगाया कि बैंक की कार्रवाई SC/ST Act के तहत एक आदिवासी व्यक्ति के खिलाफ अत्याचार है।

    NCST ने इस पर संज्ञान लेते हुए एक्सिस बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कई समन जारी किए। एक्सिस बैंक ने इन नोटिसों को चुनौती दी यह तर्क देते हुए कि आयोग के पास SARFAESI Act द्वारा शासित वाणिज्यिक वसूली विवाद में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है और शिकायतकर्ता न तो संपत्ति का मालिक है और न ही कब्ज़ाधारक। बैंक ने यह भी बताया कि स्वामित्व का मुद्दा पहले ही दीवानी अदालत में विचाराधीन है।

    हाईकोर्ट ने बैंक के तर्क में दम पाया और NCST के 29 जुलाई और 6 अक्टूबर 2025 के आदेशों और समन पर अगली सुनवाई तक रोक लगाई। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि सीनियर अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से समन करने का कोई उचित कारण नहीं बताया गया और अनावश्यक रूप से शीर्ष अधिकारियों को न बुलाने की सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी (स्टेट ऑफ उत्तर प्रदेश बनाम जसवीर सिंह) पर भरोसा किया।

    Next Story