दिल्ली हाईकोर्ट ने महरौली में ध्वस्त 600 साल पुरानी मस्जिद स्थल पर शब-ए-बारात पर नमाज अदा करने की याचिका खारिज की

Shahadat

23 Feb 2024 8:47 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने महरौली में ध्वस्त 600 साल पुरानी मस्जिद स्थल पर शब-ए-बारात पर नमाज अदा करने की याचिका खारिज की

    दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को शहर के महरौली इलाके में हाल ही में ध्वस्त की गई 600 साल पुरानी मस्जिद, मस्जिद अखोनजी की जगह पर शब-ए-बारात पर नमाज अदा करने और कब्रों पर जाने की अनुमति देने की मांग वाली याचिका खारिज की।

    मदरसा बहरूल उलूम और विभिन्न कब्रों के साथ मस्जिद को 30 जनवरी को डीडीए द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था।

    जस्टिस पुरुषइंद्र कुमार कौरव ने शब-ए-बारात पर रविवार से शुरू होकर सोमवार को सूर्योदय के 30 मिनट बाद तक रात भर प्रार्थना करने और अपने बुजुर्गों की कब्रों पर जाने के इच्छुक व्यक्तियों के कब्रिस्तान और मस्जिद स्थल में निर्बाध प्रवेश की मांग करने वाली अर्जी खारिज की।

    अदालत ने 2022 से लंबित याचिका में दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति द्वारा दायर आवेदन खारिज कर दिया।

    अदालत ने कहा,

    “इस स्तर पर यह अदालत वर्तमान मामले के तथ्यों के तहत कोई निर्देश पारित करने के लिए इच्छुक नहीं है। तदनुसार, आवेदन खारिज किया जाता है।”

    जस्टिस कौरव ने कहा कि अब तक विचाराधीन साइट डीडीए के कब्जे में है और अदालत ने पहले ही मुख्य याचिका पर विचार कर लिया है, जिस पर 07 मार्च को सुनवाई होगी।

    अदालत ने कहा,

    “प्रश्न में प्रार्थना अनिवार्य निषेधाज्ञा की प्रकृति से संबंधित है। उत्तरदाताओं ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा कि संरचना पहले ही ध्वस्त हो चुकी है और इस अदालत द्वारा पारित यथास्थिति का आदेश साइट पर कायम रखा जा रहा है।”

    दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति की ओर से पेश वकील शम्स ख्वाजा ने दलील दी कि आवेदन दाखिल करने की तात्कालिकता शब-ए-बारात है, जो माफी का अवसर है, जहां मुसलमान पूरी रात मस्जिद में इबादत करते हैं और कब्रिस्तान जाते हैं।

    उन्होंने कहा कि मस्जिद 700 साल पुरानी थी, जिसे डीडीए अधिकारियों ने अवैध रूप से ध्वस्त कर दिया।

    हालांकि, दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वकील ने आवेदन का विरोध किया और कहा कि मस्जिद 700 साल पुरानी नहीं है और यह वक्फ संपत्ति नहीं है।

    पक्षकारों को सुनने के बाद कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी।

    इस महीने की शुरुआत में अदालत ने डीडीए को साइट पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया। हालांकि, यह स्पष्ट किया गया कि यथास्थिति का आदेश केवल उस खसरा संख्या के संबंध में पारित किया गया, जहां मस्जिद स्थित थी और यह डीडीए पर आसपास के क्षेत्रों पर अपनी कार्रवाई करने में बाधा के रूप में कार्य नहीं करेगा।

    दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति का मामला है कि मस्जिद और मदरसे को निर्लज्ज तरीके से ध्वस्त किया गया। दावा किया गया कि मस्जिद के इमाम जाकिर हुसैन और उनके परिवार को आश्रय के बिना छोड़ दिया गया और उनकी झोपड़ी भी ध्वस्त कर दी गई।

    केस टाइटल: दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति बनाम एनसीटी सरकार (जीएनसीटी), दिल्ली और अन्य।

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