दिल्ली हाईकोर्ट ने मनीष सिसोदिया को सरकारी बंगला इस्तेमाल करने की अनुमति देने के सीएम आतिशी के खिलाफ जनहित याचिका खारिज की
Shahadat
15 Jan 2025 6:37 AM

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को सीनियर AAP नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और उनके परिवार के सदस्यों को सरकार द्वारा आवंटित बंगला इस्तेमाल करने की अनुमति देने के लिए मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली जनहित याचिका खारिज की।
एक्टिंग चीफ जस्टिस विभु बाखरू और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने संजीव जैन द्वारा दायर जनहित याचिका खारिज की, जिन्होंने खुद को सोशल एक्टिविस्ट और RTI एक्टिविस्ट बताया था।
न्यायालय ने कहा कि यदि मामले में किसी भी नियम का उल्लंघन किया जाता है तो अधिकारी आवश्यकता पड़ने पर कार्रवाई करने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं।
न्यायालय ने कहा,
“हम याचिका में कोई भी आदेश पारित करना उचित नहीं समझते हैं। यदि किसी भी नियम का उल्लंघन किया जाता है तो संबंधित अधिकारी आवश्यकता पड़ने पर कार्रवाई करने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं।”
याचिका में सरकारी बंगले का उल्लेख है, जो सिसोदिया को आवंटित किया गया, लेकिन बाद में मार्च, 2023 में आतिशी को आवंटित कर दिया गया, जब सिसोदिया को शराब नीति मामले में गिरफ्तार किया गया।
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि सिसोदिया को मार्च 2023 में जेल भेज दिया गया। फिर भी उनका पूरा परिवार उनके पद से इस्तीफा देने के बाद भी सरकारी बंगले में रह रहा है।
याचिका में कहा गया,
यह भी बहुत आश्चर्य की बात है कि जब उपरोक्त बंगला मार्च, 2023 के महीने में मिसेज आतिशी मर्लेना को आवंटित किया गया। वह जंगपुरा, नई दिल्ली के इलाके में रह रही थीं। उन्होंने कभी भी मिस्टर मानशी सिसोदिया के परिवार को उपरोक्त बंगले में रहने की अनुमति देने पर कोई आपत्ति नहीं जताई।"
यह आरोप लगाया गया कि सिसोदिया को अपने सरकारी बंगले में रहने की अनुमति देने में मुख्यमंत्री की कार्रवाई "सरकारी संपत्ति का स्पष्ट दुरुपयोग" है।
जनहित याचिका के अनुसार, यह सरकारी संपत्ति के आवंटन और खाली करने के लिए स्थापित नियमों और विनियमन का "घोर उल्लंघन" था।
याचिका में कहा गया,
"यह हो सकता है कि मिसेज आतिशी ने अपने राजनीतिक दल में उच्च पद पाने और मिस्टर मनीष सिसोदिया, जो राजनीतिक करियर में गुरु हैं, उसका अधिक विश्वास पाने के लिए मिस्टर मनीष सिसोदिया को लाभकारी लाभ पहुंचाया है। इस तरह का व्यवहार सरकारी संपत्ति के दांव पर अपने राजनीतिक दल के प्रति अपनी वफादारी दिखाने के लिए व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं किया जा सकता है।"
केस टाइटल: संजीव जैन बनाम यूओआई और अन्य।