दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों के रिक्त पदों को शीघ्र भरने के लिए जनहित याचिका पर हाइकोर्ट ने नोटिस जारी किया

Amir Ahmad

30 April 2024 9:52 AM GMT

  • दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों के रिक्त पदों को शीघ्र भरने के लिए जनहित याचिका पर हाइकोर्ट ने नोटिस जारी किया

    दिल्ली हाइकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) में अध्यक्ष और सदस्यों के रिक्त पदों को शीघ्र भरने की मांग वाली जनहित याचिका (PIL) पर नोटिस जारी किया।

    एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की खंडपीठ ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के माध्यम से दिल्ली सरकार DCPCR और केंद्र सरकार से जवाब मांगा।

    राष्ट्रीय बाल विकास परिषद द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि पिछले साल 02 जुलाई को अनुराग कुंडू (पूर्व अध्यक्ष) का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से DCPCR का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

    याचिकाकर्ता परिषद की ओर से पेश हुए वकील रॉबिन राजू ने दलील दी कि इतने लंबे समय तक पद खाली रखना दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग नियम की धारा 8(2) का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया कि मृत्यु, त्यागपत्र या किसी अन्य कारण से होने वाली रिक्ति को ऐसी रिक्ति होने की तिथि से 90 दिनों के भीतर नामांकन द्वारा भरा जाना चाहिए।

    दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने अदालत को कार्यालय नोट सौंपा जिसमें कहा गया कि रिक्त पद के लिए आवेदन आमंत्रित करने का प्रस्ताव बनाया गया> पिछले साल 01 अगस्त को संबंधित मंत्री को फाइल मार्क की गई।

    अदालत को यह भी बताया गया कि संबंधित मंत्री ने 27 मार्च को लिखा कि चूंकि आदर्श आचार संहिता लागू है, इसलिए विज्ञापन जारी नहीं किया जा सकता।

    वहीं अदालत को अवगत कराया गया कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस बीच रिक्त पद के संबंध में अंतरिम व्यवस्था की है।

    याचिका में कहा गया कि परिषद ने 09 फरवरी को दिल्ली सरकार को DCPCR अध्यक्ष के पद को भरने का अनुरोध करते हुए अभ्यावेदन लिखा। हालांकि, कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

    याचिका में कहा गया कि DCPCR बाल अधिकारों के मामलों में याचिकाकर्ता परिषद का वैधानिक प्रहरी है। इसने अधिकारों की निगरानी, ​​सुरक्षा उपायों की समीक्षा, उल्लंघनों की जांच और नीति निर्माण तथा संशोधनों पर सरकार को सलाह देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

    याचिका में कहा गया,

    "यह भी ध्यान देने योग्य है कि इस तथ्य के अलावा कि प्रतिवादी नंबर 2 पिछले 8 महीनों से अधिक समय से बिना अध्यक्ष के काम कर रहा है। प्रतिवादी नंबर 2 की वेबसाइट भी दिखाती है कि वर्तमान में निकाय बिना किसी सदस्य के भी काम कर रहा है।"

    इसमें DCPCR प्रमुख के रिक्त पद के बारे में टाइम्स ऑफ इंडिया और इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित विभिन्न समाचार रिपोर्टों का भी हवाला दिया गया।

    मामले की सुनवाई अब 14 अगस्त को होगी।

    याचिका वकील रॉबिन राजू, अल्फा फिरिस दयाल और आंचल बंब के माध्यम से दायर की गई।

    केस टाइटल- राष्ट्रीय बाल विकास परिषद दिल्ली सरकार और अन्य।

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