पासओवर/स्थगन को वकील का अधिकार न समझें, यह सिर्फ अदालत की शिष्टाचार-भर सुविधा: दिल्ली हाईकोर्ट

Praveen Mishra

18 Nov 2025 3:21 PM IST

  • पासओवर/स्थगन को वकील का अधिकार न समझें, यह सिर्फ अदालत की शिष्टाचार-भर सुविधा: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अदालत द्वारा वकीलों को दिया जाने वाला पासओवर (pass over) या स्थगन (adjournment) किसी भी स्थिति में उनका अधिकार नहीं है, बल्कि यह केवल अदालत की ओर से दी गई एक शिष्टाचार-आधारित सुविधा है।

    जस्टिस गिरिश काथपालिया ने यह टिप्पणी उस समय की जब अदालत 2006 से लंबित एक सिविल मुकदमे में बचाव पक्ष के गवाह की जिरह करने का अधिकार बंद किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    याचिकाकर्ता की ओर से यह दावा किया गया कि ट्रायल कोर्ट ने उचित अवसर नहीं दिया और 1 अगस्त 2025 को 2:30 बजे तक पासओवर मांगने के बावजूद जिरह का मौका छीन लिया गया। वहीं, प्रतिवादी पक्ष ने हाईकोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता लगातार प्रक्रिया में देरी कर रहा था और उसने DW-1 की जिरह टालने के लिए तीन लगातार तारीखों पर स्थगन लिया था।

    हाईकोर्ट ने रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद पाया कि याचिकाकर्ता के वकील ने पिछले चार वर्षों में बार-बार स्थगन मांगे—27 मार्च 2024 को गवाह की मुख्य परीक्षा के बाद, फिर 30 अगस्त 2024 को आंशिक जिरह के बाद और अगले कई तारीखों पर भी। इसके बाद proxy counsel ने एक और स्थगन मांगा, जिसके चलते ट्रायल कोर्ट ने जिरह का अधिकार बंद कर दिया। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता का यह दावा तथ्यात्मक रूप से गलत है कि उसने पासओवर मांगा था; ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड के अनुसार उसने वास्तव में स्थगन ही मांगा था।

    सुनवाई के दौरान यह भी सामने आया कि स्थगन के लिए पहले वकील की बीमारी का बहाना दिया गया था, लेकिन जब अदालत ने मेडिकल दस्तावेज मांगें, तो अचानक परिवारिक आपातकाल का हवाला दे दिया गया। हाईकोर्ट ने इस आचरण को गंभीरता से लेते हुए टिप्पणी की कि ट्रायल कोर्ट और उच्च न्यायालय, दोनों के सामने ऐसे झूठे बयान पेश करना निंदनीय है।

    अंततः, हाईकोर्ट ने कहा कि पासओवर और स्थगन केवल अदालत की ओर से दी जाने वाली एक सुविधा है, जिसे अधिकार मानकर दूसरे पक्ष को नुकसान नहीं पहुँचाया जा सकता। अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर ₹10,000 का जुर्माना लगाया।

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