दिल्ली हाइकोर्ट ने डेयरी कॉलोनियों में ऑक्सीटोसिन के इस्तेमाल के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया, पुलिस जांच के निर्देश दिए
Amir Ahmad
3 May 2024 3:33 PM IST
दिल्ली हाइकोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में डेयरी कॉलोनियों में नकली ऑक्सीटोसिन हार्मोन के इस्तेमाल के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया। साथ ही निर्देश दिया कि दर्ज मामलों की जांच अधिकार क्षेत्र वाले पुलिस स्टेशनों द्वारा की जाए।
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पी.एस. अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि ऑक्सीटोसिन देना पशु क्रूरता के बराबर है और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 (Prevention of Cruelty to Animals Act, 1960) की धारा 12 के तहत यह संज्ञेय अपराध है।
अदालत ने कहा,
“इसके परिणामस्वरूप यह न्यायालय औषधि नियंत्रण विभाग, जी.एन.सी.टी.डी. को साप्ताहिक जांच करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश देता है कि नकली ऑक्सीटोसिन के उपयोग या कब्जे के सभी मामले पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 की धारा 12 और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 की धारा 18 (ए) के तहत दर्ज किए जाएं।"
इसने दिल्ली पुलिस के खुफिया विभाग को ऑक्सीटोसिन उत्पादन, पैकेजिंग और वितरण के स्रोतों की पहचान करने और कानून के अनुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
पीठ याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि दिल्ली में डेयरी कॉलोनियां विभिन्न कानूनों का उल्लंघन कर रही हैं, जिन्हें सरकारी अधिकारियों द्वारा लागू किया जाना है। यह याचिका सुनयना सिब्बल, अशर जेसुदास और अक्षिता कुकरेजा द्वारा दायर की गई।
पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में डेयरियों को ऐसे क्षेत्रों में ट्रांसफर किया जाना चाहिए, जहां उचित सीवेज, जल निकासी, बायोगैस संयंत्र, मवेशियों के घूमने के लिए पर्याप्त खुली जगह और पर्याप्त चरागाह हो सके।
वहीं कोर्ट कमिश्नर एडवोकेट गौरी पुरी ने अदालत को बताया कि दिल्ली में सभी नौ नामित डेयरी कॉलोनियों की स्थिति खराब है। फिर भी अदालत ने कहा कि गाजीपुर डेयरी और भलस्वा डेयरी को तत्काल पुनर्वासित करने और स्थानांतरित करने की तत्काल आवश्यकता है, क्योंकि वे सैनिटरी लैंडफिल साइटों के बगल में स्थित हैं।
पीठ ने कहा कि लैंडफिल साइटों के बगल में स्थित डेयरियों में मवेशी खतरनाक अपशिष्ट खाते हैं और यदि मनुष्य, विशेष रूप से बच्चे उनका दूध पीते हैं तो गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
अदालत ने कहा,
"इस आशंका को ध्यान में रखते हुए कि लैंडफिल साइटों के बगल में स्थित डेयरियां बीमारी और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं, यह अदालत प्रथम दृष्टया इस विचार पर है कि इन डेयरियों को तत्काल ट्रांसफर करने की आवश्यकता है।"
कोई भी बाध्यकारी निर्देश जारी करने से पहले न्यायालय ने कहा कि वह संबंधित अधिकारियों से सुनना चाहेगा कि निर्देशों को कैसे लागू किया जाना चाहिए।
तदनुसार, न्यायालय ने आयुक्त (एमसीडी), पशु चिकित्सा निदेशक (एमसीडी), मुख्य सचिव (जीएनसीटीडी), सीईओ (डीयूएसआईबी) और सीईओ (एफएसएसएआई) को 08 मई को कार्यवाही में शामिल होने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने कहा,
“अधिकारी भूमि की उपलब्धता की संभावना का पता लगाएंगे जहां डेयरियों का पुनर्वास और स्थानांतरण किया जा सके। मुख्य सचिव भी इस न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने से पहले संबंधित अधिकारियों के साथ एक पूर्व बैठक करेंगे।”
केस टाइटल- सुनयना सिब्बल एवं अन्य बनाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार एवं अन्य।