दिल्ली हाईकोर्ट ने वजन घटाने वाली दवाओं की मंजूरी से संबंधित याचिका पर DCGI को दिया यह आदेश
Shahadat
2 July 2025 1:11 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को वजन घटाने के उपचार के लिए बाजार में बेची जाने वाली दवा संयोजनों की मंजूरी के मुद्दे पर दायर याचिका पर भारतीय औषधि महानियंत्रक (DCGI) को हस्तक्षेप करने का आदेश दिया।
चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने DCGI को इस मुद्दे पर विशेषज्ञों और हितधारकों, जिनमें दवाओं के निर्माता भी शामिल हैं, उससे परामर्श करने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने जितेंद्र चौकसे द्वारा दायर जनहित याचिका का निपटारा कर दिया, जिन्होंने तर्क दिया था कि विचाराधीन दवाओं के उपयोग और बिक्री के लिए लाइसेंस जारी किए गए, जो पर्याप्त डेटा पर आधारित नहीं हैं।
उनका कहना था कि बिना किसी विशिष्ट परीक्षण और अध्ययन किए और दवाओं के गंभीर प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों को ध्यान में रखे बिना ही लाइसेंस जारी किए गए।
चौकसे के वकील ने कहा कि औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत DCGI ही सक्षम एवं वैधानिक प्राधिकरण है, जिसे औषधियों के सुरक्षित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाने का दायित्व सौंपा गया।
यह कहा गया कि इस मुद्दे पर 18 अप्रैल को भारत संघ के साथ-साथ DCGI को भी अभ्यावेदन दिया गया।
खंडपीठ ने कहा कि याचिका में उठाई गई चिंताओं पर पहले DCGI को विचार करना होगा और उनका समाधान करना होगा तथा चौकसे को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत सामग्री एवं दस्तावेजों को उनके संज्ञान में लाते हुए अतिरिक्त अभ्यावेदन के माध्यम से उक्त प्राधिकरण से संपर्क करने की अनुमति दी।
न्यायालय ने निर्देश दिया कि अतिरिक्त अभ्यावेदन 18 अप्रैल को पहले से प्रस्तुत अभ्यावेदन के अतिरिक्त होगा और इसे एक पखवाड़े के भीतर प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
न्यायालय ने कहा,
"यदि रिट याचिका में उठाए गए मुद्दे को संबोधित करने के लिए आवश्यक सभी दस्तावेजों और सामग्रियों को संलग्न करते हुए ऐसा अतिरिक्त अभ्यावेदन प्रस्तुत किया जाता है तो संबंधित प्राधिकरण द्वारा उस पर उचित तरीके से और कानून के अनुसार विचार किया जाएगा।"
इसने DCGI को मामले में उचित निर्णय लेने और चौकसेत द्वारा उठाई गई चिंताओं को दूर करने का निर्देश दिया। इसने कहा कि DCGI को तीन महीने के भीतर निर्णय लेना होगा।
अदालत ने कहा,
"हम आगे निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दे पर विचार करते समय DCGI विशेषज्ञों के साथ-साथ संबंधित दवाओं के निर्माताओं जैसे अन्य हितधारकों से भी परामर्श करेगा। रिट याचिका का निपटारा उपरोक्त शर्तों के साथ किया जाता है।"
Title: Jitendra Chouksey v. Union of India & Anr

