दिल्ली हाईकोर्ट ने स्थानीय भाषा में समझौते सामग्री का अनुवाद करने में विफल रहने पर परामर्श केंद्र प्रभारी को तलब किया

Amir Ahmad

17 Oct 2024 3:14 PM IST

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने स्थानीय भाषा में समझौते सामग्री का अनुवाद करने में विफल रहने पर परामर्श केंद्र प्रभारी को तलब किया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में कड़कड़डूमा न्यायालय के परामर्श केंद्र के प्रभारी को शिकायतकर्ता महिला को उसके द्वारा समझी जाने वाली स्थानीय भाषा में समझौता समझौते की सामग्री का अनुवाद करने में विफल रहने पर तलब किया।

    जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने कहा कि यद्यपि न्यायालय की कार्यवाही और दस्तावेज़ीकरण के लिए आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है, लेकिन संबंधित प्राधिकारी का कर्तव्य है कि वह ऐसे दस्तावेजों की सामग्री का अनुवाद उस व्यक्ति को दे, जो उस भाषा से अच्छी तरह वाकिफ नहीं है।

    अदालत ने कहा,

    "संबंधित प्राधिकारी का यह कर्तव्य बनता है कि वह पक्षों के समझौते पर पहुंचने से पहले संबंधित दस्तावेजों का उचित अनुवाद सुनिश्चित करे।"

    अदालत वैवाहिक विवाद से उत्पन्न मामला रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर विचार कर रही थी, जिसके बाद पक्षों ने समझौता कर लिया था। 2015 में पत्नी ने पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 498ए, 406 और 34 के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी।

    अदालत के सवाल पर शिकायतकर्ता महिला ने कहा कि उसे मध्यस्थता रिपोर्ट की विषय-वस्तु के बारे में जानकारी नहीं थी, क्योंकि यह अंग्रेजी में लिखी गई थी। किसी ने भी उसे स्थानीय भाषा में इसका अनुवाद नहीं किया।

    उसने यह भी कहा कि दोनों पक्षों के बीच तलाक उसे बताए बिना हुआ और पूरी जानकारी दिए बिना उसके हस्ताक्षर लिए गए, जिसके कारण पति के पक्ष में तलाक का फैसला सुनाया गया।

    अदालत ने कहा,

    "वैकल्पिक विवाद समाधान मंचों की स्थापना के पीछे उद्देश्य पक्षों के बीच बिना किसी परेशानी के त्वरित और सौहार्दपूर्ण समाधान सुनिश्चित करना है उक्त उद्देश्य इस देश के संविधान द्वारा नागरिकों को दिए गए अधिकारों को नकार नहीं सकता।"

    इसने कहा कि यह मामला देश की अदालतों में व्याप्त खतरनाक स्थिति को दर्शाता है, जहां शिकायतकर्ता समझौते की विषय-वस्तु से अनजान है। फिर भी मध्यस्थता केंद्र उसी के अनुसार आगे बढ़ते हैं।

    तदनुसार, जस्टिस सिंह ने परामर्श केंद्र के प्रभारी को हलफनामा दाखिल कर यह बताने का निर्देश दिया कि शिकायतकर्ता को समझौते की विषय-वस्तु के बारे में समझाने के लिए आवश्यक कदम क्यों नहीं उठाए गए।

    अब मामले की सुनवाई 05 नवंबर को होगी।

    केस टाइटल: संतोष कुमार व अन्य बनाम राज्य के माध्यम से एसएचओ पीएस न्यू अशोक नगर व अन्य

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