दिल्ली हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हैदराबादी कारोबारी अरुण पिल्लई को जमानत दी
Amir Ahmad
12 Sept 2024 12:20 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार (11 सितंबर) को हैदराबाद के व्यवसायी अरुण रामचंद्रन पिल्लई को आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दी।
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की एकल पीठ ने अपने फैसले में मनीष सिसोदिया बनाम प्रवर्तन निदेशालय (ED) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया और कहा कि पिल्लई ने जमानत देने के लिए ट्रिपल टेस्ट को पूरा किया।
हाईकोर्ट ने कहा,
"जैसा कि मनीष सिसोदिया बनाम प्रवर्तन निदेशालय 2024 INSC में उल्लेख किया गया, यदि आवेदक को जमानत दी जाती है तो आवेदक द्वारा साक्ष्य से छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं है, क्योंकि मामला मुख्य रूप से दस्तावेजी साक्ष्य पर निर्भर है, जिसे अभियोजन पक्ष द्वारा पहले ही जब्त कर लिया गया। इसी तरह गवाहों को प्रभावित करने और भागने के जोखिम के बारे में आशंका को जमानत देते समय कठोर शर्तें लगाकर दूर किया जा सकता है। इसलिए आवेदक द्वारा ट्रिपल टेस्ट की शर्तों को विधिवत पूरा किया जाता है।”
अदालत ने आगे कहा कि मनीष सिसोदिया में सुप्रीम कोर्ट ने देखा कि किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने से पहले लंबे समय तक कारावास को बिना मुकदमे के सजा बनने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार वैधानिक प्रतिबंधों से बेहतर है।
हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस सिद्धांत को भी दोहराया कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है।
हाईकोर्ट ने कहा,
"सुप्रीम कोर्ट ने गुडिकांति नरसिम्हुलु बनाम लोक अभियोजक हाईकोर्ट आंध्र प्रदेश में की गई टिप्पणी को दोहराया कि किसी व्यक्ति को सुनवाई या अपील के निपटारे तक न्यायिक हिरासत में रखने का उद्देश्य सुनवाई में उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करना है। कलवकुंतला कविता बनाम प्रवर्तन निदेशालय 2024 INSC 632 और विजय नायर बनाम प्रवर्तन निदेशालय में PMLA मामले में शिकायत के तहत इसी तरह के आरोपियों को एसएलपी (सीआरएल) नंबर 22137/2024 के तहत 02.09.2024 के आदेश के तहत जमानत देते समय सुप्रीम कोर्ट ने यही टिप्पणी दोहराई है।"
जस्टिस कृष्णा ने आगे कहा कि पिल्लई कई शैक्षणिक योग्यताओं के साथ अनुभवी पेशेवर है और उसने यूनिसेफ कनाडा जैसे संगठनों के साथ काम करने के लिए भी स्वेच्छा से काम किया, जिससे बच्चों को दुनिया भर में बच्चों के लिए यूनिसेफ के काम के बारे में शिक्षित किया जा सके और अफगान4टुमॉरो - काबुल शिक्षा यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स के व्यावसायिक कौशल को बेहतर बनाने में मदद की जा सके।
हाईकोर्ट ने कहा कि तिहाड़ जेल में विचाराधीन कैदी के रूप में बंद होने के बावजूद पिल्लई ने बागवानी सहायक के रूप में स्वेच्छा से काम किया।
न्यायालय ने कहा कि पिल्लई की समाज में गहरी जड़ें हैं उसके भागने का जोखिम नहीं है, उसका भारत में व्यवसाय है और उसके देश से भागने की संभावना नहीं है।
इसके बाद हाईकोर्ट ने ED मामले में पिल्लई को जमानत दे दी बशर्ते कि वह ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के लिए 10 लाख रुपये के निजी बांड और समान राशि के दो जमानतदार प्रस्तुत करे और कुछ अन्य शर्तों के अधीन हो।
न्यायालय ने कहा,
"इसमें की गई कोई भी टिप्पणी ट्रायल के प्रति पूर्वाग्रह से मुक्त है।"
मामले की पृष्ठभूमि
CBI ने 17 अगस्त 2022 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के साथ धारा 120बी आईपीसी के तहत विभिन्न व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया, जिसमें पिल्लई को आरोपी के रूप में नामित किया गया।
पांच दिन बाद ED ने भी मामला दर्ज किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि पिल्लई दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 का मसौदा तैयार करने की साजिश में सक्रिय रूप से शामिल था। वह कार्टेल बनाने में भी सक्रिय रूप से शामिल था और रिश्वत, भुगतान और उसकी वसूली की साजिश में भी शामिल था।
यह भी आरोप लगाया गया कि उसने अपराध की आय से संबंधित लेन-देन के संबंध में विभिन्न लेन-देन किए थे। ED ने आरोप लगाया कि पिल्लई आपराधिक साजिश का मुख्य सदस्य है और वह साउथ ग्रुप का हिस्सा रहा है।
अदालत ने यह भी नोट किया कि पिल्लई के खिलाफ अभियोजन शिकायत पहले ही दायर की जा चुकी है, जिसमें उसे तलब किया गया और उसके संबंध में जांच पूरी हो चुकी है।
अदालत ने अपने आदेश में आगे कहा कि CBI मामले (पूर्वगामी अपराध) में आरोपपत्र पिल्लई की गिरफ्तारी के बिना दायर किया गया और उन्हें फरवरी 2023 में CBI मामले में जमानत दे दी गई।
केस टाइटल- अरुण पिल्लई बनाम प्रवर्तन निदेशालय