वकीलों के निकाय चुनावों में महिला वकीलों के लिए 33% आरक्षण की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी

Shahadat

18 July 2024 6:58 AM GMT

  • वकीलों के निकाय चुनावों में महिला वकीलों के लिए 33% आरक्षण की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी

    दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली बार काउंसिल (BCD), दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन (DHCBA) और राष्ट्रीय राजधानी में सभी जिला बार एसोसिएशनों के चुनावों में महिला वकीलों के लिए 33% सीटें आरक्षित करने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।

    एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने वकीलों के निकायों से जवाब मांगा और मामले की सुनवाई 12 अगस्त को तय की।

    यह याचिका एडवोकेट शोभा गुप्ता ने दायर की, जिन्होंने तर्क दिया कि BCD और अन्य बार एसोसिएशनों में प्रभावी पदों पर महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व महिलाओं के अधिकारों और न्याय तक पहुंच को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। साथ ही न्याय प्रणाली की समग्र प्रभावशीलता को भी कम कर सकता है।

    गुप्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट पिंकी आनंद ने प्रस्तुत किया कि सुप्रीम कोर्ट ने मई में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के चुनावों की कार्यकारी समिति में महिला वकीलों के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का आदेश पारित किया।

    उन्होंने कहा कि बार में महिला वकीलों के मुद्दों को महिला प्रतिनिधियों द्वारा अच्छी तरह से समझा और बल दिया जा सकता है।

    आनंद ने तर्क दिया कि महिला वकीलों के लिए नामित एकमात्र पद महिला सदस्य कार्यकारी है और वे प्रभावी निर्णयों का हिस्सा नहीं हैं।

    BCD के लिए एडवोकेट तनुदभव सिंहदेव पेश हुए।

    याचिका में कहा गया कि महिला वकीलों की बढ़ती संख्या के बावजूद, वे विभिन्न व्यावसायिक बाधाओं के कारण प्रतिष्ठित परिषद या बार संघों के पद पर अपना प्रतिनिधित्व प्रभावी नहीं बना पाई।

    इसमें कहा गया कि वकीलों के निकायों में 33% सीटों का आरक्षण सभी महिला वकीलों का समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेगा और उन्हें आगे बढ़ने और अपनी शिकायतों को दूर करने का समान अवसर भी प्रदान करेगा।

    याचिका में कहा गया,

    “इसकी स्थापना के बाद से 64 वर्षों से दिल्ली बार काउंसिल, दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और जिला बार एसोसिएशनों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व पूरी तरह से अनुपस्थित रहा है। इस दौरान, केवल दो महिला वकील दिल्ली बार काउंसिल का हिस्सा थीं, जिनमें से किसी ने भी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या सचिव जैसे पद नहीं संभाले। दिल्ली हाईकोर्ट और जिला बार एसोसिएशन में भी ऐसी ही स्थिति है। यह दिल्ली बार काउंसिल के भीतर महिला वकीलों के प्रति स्पष्ट प्रभुत्व और असमानता को उजागर करता है।"

    केस टाइटल: शोभा गुप्ता एडवोकेट बनाम दिल्ली बार काउंसिल और अन्य।

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