दिल्ली हाईकोर्ट ने नाबालिग बलात्कार पीड़िताओं को शीघ्र टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए
Amir Ahmad
18 April 2025 9:08 AM

दिल्ली हाईकोर्ट ने नाबालिग बलात्कार पीड़िताओं को गर्भपात (Medical Termination of Pregnancy) के मामलों में शीघ्र और उचित कानूनी मार्गदर्शन और मेडिकल सहायता प्रदान करने के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए।
जस्टिस स्वर्णा कांत शर्मा ने कहा कि यौन शोषण की पीड़िताएं विशेषकर वे जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आती हैं और नाबालिग होती हैं, अक्सर यह नहीं जानतीं कि उन्हें किस कानूनी मंच से संपर्क करना चाहिए या गर्भपात के मामलों में क्या प्रक्रिया अपनानी है।
अदालत ने निर्देश दिया कि जब किसी नाबालिग यौन उत्पीड़न पीड़िता जिसकी प्रेग्नेंसी की अवधि 24 सप्ताह से अधिक हो, उसको बाल कल्याण समिति (CWC) के समक्ष प्रस्तुत किया जाए और उसे मेडिकल जांच या टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी हेतु अस्पताल भेजा जाए तो संबंधित CWC को तत्काल दिल्ली हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति (DHCLSC) को मामले की जानकारी देनी होगी।
यह निर्देश इस तथ्य के मद्देनज़र दिया गया कि यदि प्रेग्नेंसी टर्मिनेट करने के लिए पीड़िता या उसके परिवार द्वारा सहमति दी जाती है तो इसके लिए तत्काल न्यायालय के आदेश की आवश्यकता होगी।
कोर्ट ने कहा कि DHCLSC को भेजी गई सूचना में पीड़िता की पहचान गुप्त रखते हुए उसका विवरण, CWC की ऑर्डर FIR की कॉपी जांच अधिकारी द्वारा पीड़िता को CWC के सामने पेश करने की तिथि और अन्य आवश्यक दस्तावेज शामिल होने चाहिए, जिससे सक्षम अदालत में याचिका दायर की जा सके।
कोर्ट ने आगे कहा कि DHCLSC ऐसी सूचना मिलने पर तुरंत कार्रवाई करते हुए मूल्यांकन करेगा कि क्या कोई कानूनी हस्तक्षेप आवश्यक है। विशेषकर तब जब प्रेग्नेंसी के 24 सप्ताह से अधिक हो और पीड़िता या उसका अभिभावक प्रेग्नेंसी टर्मिनेट कराना चाहते हों।
कोर्ट ने स्पष्ट किया,
“उपरोक्त निर्देश दिल्ली NCT की सभी CWCs को प्रसारित किए जाएं और इनका पूरी सख्ती से पालन किया जाए।”
कोर्ट ने अपने 2023 के निर्देश को दोहराते हुए कहा कि ऐसी नाबालिग बलात्कार पीड़िता जिसका गर्भ 24 सप्ताह से अधिक का हो, उसकी मेडिकल जांच तुरंत संबंधित अस्पताल के मेडिकल बोर्ड द्वारा की जानी चाहिए और रिपोर्ट तैयार रखी जानी चाहिए। इसके लिए यह शर्त न रखी जाए कि पीड़िता पहले न्यायालय से आदेश प्राप्त करे।
कोर्ट 15 वर्षीय बलात्कार पीड़िता के एक मामले की सुनवाई कर रही थी, जो 27 सप्ताह से अधिक की प्रेग्नेंट है। यह यौन उत्पीड़न पीड़िता के चचेरे भाई द्वारा किया गया था।
जब पीड़िता के पिता ने LNJP अस्पताल में प्रेग्नेंसी टर्मिनेट करने की अनुमति मांगी तो अस्पताल ने मौखिक रूप से इनकार किया, क्योंकि भ्रूण की आयु MTP Act में निर्धारित सीमा से अधिक थी। उन्हें बताया गया कि टर्मिनेशन तभी संभव है जब सक्षम अदालत से आदेश प्राप्त हो।
जस्टिस शर्मा ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि लगभग दो साल पहले दिए गए विस्तृत निर्देशों के बावजूद नाबालिग बलात्कार पीड़िता को कोर्ट के आदेश या मेडिकल बोर्ड की कार्रवाई के लिए कई दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है।
कोर्ट ने कहा कि जमीनी स्तर पर स्थिति अभी भी वैसी की वैसी है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बलात्कार की वजह से उत्पन्न प्रेग्नेंसी को समाप्त करने की प्रक्रिया को त्वरित और सरल बनाने का उद्देश्य अभी भी प्रभावी ढंग से लागू नहीं हो पाया।
अदालत ने LNJP अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट से यह स्पष्टीकरण मांगा कि क्यों पीड़िता की मेडिकल जांच में एक सप्ताह की देरी हुई जबकि पीड़िता CWC के आदेश के अनुसार पहले ही अस्पताल में प्रस्तुत की जा चुकी थी और 2023 में अस्पतालों को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए।
इसके अलावा, कोर्ट ने LNJP अस्पताल के अधीक्षक और मेडिकल बोर्ड को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी MTP Act के अनुसार योग्य डॉक्टरों द्वारा कराया जाए।
केस टाइटल: MINOR S (पिता B के माध्यम से) बनाम राज्य व अन्य