दिल्ली हाईकोर्ट ने विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा करने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की, कहा- मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित

LiveLaw News Network

26 April 2024 8:11 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा करने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की, कहा- मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित

    दिल्ली हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारी की निगरानी में विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका खारिज कर दी है। कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने गौतम कुमार लाहा द्वारा दायर जनहित याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मामला सप्रीम कोर्ट में लंबित है और इसकी निगरानी वहीं की जा रही है।

    उन्होंने कहा, “…हमें वर्तमान याचिका पर विचार करने का कोई कारण नहीं मिला। तदनुसार, वर्तमान याचिका खारिज की जाती है...''।

    जनहित याचिका में जिला स्तर पर एक समिति गठित करने की भी मांग की गई जिसमें जिला न्यायाधीश, संबंधित जिले के पुलिस उपायुक्त, जिला मजिस्ट्रेट और आम जनता से दो सदस्य शामिल हों। याचिका में प्रार्थना की गई कि समिति यह तय करने के लिए कम से कम एक मासिक बैठक आयोजित करेगी कि किन विचाराधीन कैदियों को रिहा किया जा सकता है और अपेक्षित जमानत शर्तों के साथ जमानत का उचित आदेश पारित करने के लिए उनका नाम संबंधित मजिस्ट्रेट को भेजेगी।

    याचिकाकर्ता का मामला यह था कि जनहित याचिका अत्यधिक आबादी वाली या अत्यधिक भीड़भाड़ वाली जेलों और उनमें बंद विचाराधीन कैदियों के लंबित मुकदमे के मुद्दे से निपटने के लिए दायर की गई थी। यह प्रस्तुत किया गया था कि यदि याचिका को अनुमति दी जाती है, तो यह अत्यधिक आबादी वाली जेलों को एक न्यायिक अधिकारी और एक विशेषज्ञ समिति की जांच के अधीन कर देगी, जिसके परिणामस्वरूप अंततः विचाराधीन कैदियों को सम्मानजनक जीवन मिलेगा।

    केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा ने 2019 में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जारी एक पत्र को रिकॉर्ड में रखा, जिसमें एनएएलएसए द्वारा तैयार की गई एसओपी को उनके संज्ञान में लाया गया था। पीठ ने कहा कि एसओपी के संदर्भ में एक अंडर ट्रायल समीक्षा समिति पहले से ही गठित है और शीघ्र रिहाई के लिए पात्र कैदियों की 14 श्रेणियों की पहचान पहले ही की जा चुकी है।

    इसमें आगे कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्येक राज्य सरकार को नई जेलें स्थापित करने, मौजूदा जेल सुविधाओं का विस्तार करने और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके कैदियों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए कदम उठाने के लिए एक नामित समिति गठित करने के निर्देश जारी किए हैं।

    अदालत ने कहा, “इस प्रकार, वर्तमान याचिका में आग्रह किया गया भीड़भाड़ का मुद्दा सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित रिट याचिका में भी विचाराधीन है।”

    केस टाइटलः गौतम कुमार लाहा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य।

    ऑर्डर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    Next Story