दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी रोज़गार में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आरक्षण न देने पर अधिकारियों को फटकारा

Amir Ahmad

13 Oct 2025 12:44 PM IST

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी रोज़गार में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आरक्षण न देने पर अधिकारियों को फटकारा

    दिल्ली हाईकोर्ट ने न्यायालय स्थापना में विभिन्न पदों पर भर्ती से संबंधित सार्वजनिक रोज़गार में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को 5 साल की आयु छूट और 5% अर्हक अंकों में छूट प्रदान करने के लिए अधिकारियों को उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया।

    चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2014 के NALSA मामले में दिए गए ऐतिहासिक फैसले के बावजूद अधिकारियों द्वारा ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए। इसमें सार्वजनिक रोज़गार में आरक्षण का प्रावधान करना भी शामिल है।

    कोर्ट ने टिप्पणी की,

    "संसद ने ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 2019 को अधिनियमित किया और इसके तहत नियम भी बनाए हैं। ऐसा लगता है कि उक्त अधिनियम के तहत सरकारों पर लगाए गए वैधानिक दायित्वों के परिणामस्वरूप कल्याणकारी उपाय भी नहीं किए गए।"

    पीठ दिल्ली हाईकोर्ट की स्थापना में विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए जारी विज्ञापन को लेकर प्रवीण सिंह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    याचिकाकर्ता सिंह का मामला था कि दिल्ली सरकार ने 8 फरवरी, 2021 को अधिसूचना जारी की थी, जिसमें सार्वजनिक रोज़गार में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को 5 साल की आयु में छूट और अर्हक अंकों में 5% की छूट देने का प्रावधान किया गया था।

    याचिका में यह प्रस्तुत किया गया कि भर्ती के लिए विज्ञापन जारी करते समय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए न तो आरक्षण प्रदान किया गया और न ही सरकारी अधिसूचना के संदर्भ में आयु और अर्हक अंकों में छूट दी गई।

    कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी किया और केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के माध्यम से भारत संघ तथा दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग को प्रतिवादी के रूप में शामिल किया।

    खंडपीठ ने राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर व्यक्ति परिषद को भी प्रतिवादी के रूप में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया।

    खंडपीठ ने प्रथम दृष्टया कहा कि समाज में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के समावेशन और उनकी पूर्ण तथा प्रभावी भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए सरकारों को अब तक सार्वजनिक रोज़गार में ऐसे व्यक्तियों को आरक्षण प्रदान करने के लिए कुछ नीतिगत निर्णय ले लेने चाहिए थे।

    कोर्ट को सूचित किया गया कि भर्ती विज्ञापन के तहत आवेदन करने की अंतिम तिथि 24 सितंबर थी लेकिन कई ट्रांसजेंडर व्यक्ति आवेदन नहीं कर सके, क्योंकि उन्हें आयु में छूट और अर्हक अंकों में छूट उपलब्ध नहीं कराई गई थी।

    तदनुसार, कोर्ट ने निर्देश दिया,

    "हम यह भी निर्देश देते हैं कि आज से दस दिनों के भीतर दिल्ली हाई कोर्ट के परामर्श से 8 फरवरी, 2021 की अधिसूचना के अनुसार ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को लाभ प्रदान करने के लिए उचित निर्णय लिया जाए। यदि ऐसी छूट उपलब्ध कराई जाती है तो आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि को एक महीने के लिए बढ़ाया जाए। इस जानकारी का DSSSB (दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड) द्वारा भी व्यापक रूप से प्रचार किया जाए।"

    -इस मामले की अगली सुनवाई अब 19 नवंबर को होगी।

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