दिल्ली हाईकोर्ट ने अनधिकृत निर्माण का आरोप लगाते हुए बार-बार याचिका दायर करने वाले वादी के खिलाफ CBI जांच के आदेश दिए
Amir Ahmad
27 July 2024 9:27 AM GMT
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक वादी के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा जांच करने का आदेश दिया, जिसने अनधिकृत निर्माण का आरोप लगाते हुए बार-बार जनहित याचिकाएं सहित याचिकाएं दायर कीं। इनमें से कुछ को कभी भी अदालत में सूचीबद्ध नहीं किया गया।
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने CBI को यह पता लगाने के लिए प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया कि क्या मामले में कोई संज्ञेय अपराध किया गया और किसने किया। साथ ही वादी से जांच में सहयोग करने को भी कहा गया।
दिल्ली नगर निगम (MCD) की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि ज्यादातर याचिकाएं केवल रजिस्ट्री में दायर की जाती हैं और उन्हें कभी भी अदालत में सूचीबद्ध नहीं किया जाता। अदालत को बताया गया कि वादी द्वारा MCD को दस मामले सौंपे गए लेकिन पिछले साल उन्हें सूचीबद्ध नहीं किया गया।
MCD ने यह भी कहा कि वादी द्वारा 2021 में 42 याचिकाएं दायर की गईं। रजिस्ट्री द्वारा वेरिफिकेशन करने पर अदालत को बताया गया कि अदालत में केवल 17 मामले सूचीबद्ध थे।
यह पता चला कि अदालत के समक्ष सूचीबद्ध मामलों में वादी या उनके वकील कई तारीखों पर उपस्थित नहीं हुए और कुछ मामलों का निपटारा या तो MCD द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर किया गया या विशेष कार्य बल (STF) से संपर्क करने के निर्देश जारी किए गए। पीठ ने कहा कि एक मामले को डिफ़ॉल्ट और गैर-अभियोजन के कारण खारिज कर दिया गया था।
अदालत ने पाया कि वादी एक ही इलाके में अलग-अलग संपत्तियों से संबंधित रिट याचिकाएं दायर कर रहा है। बजाय उन्हें एक साथ रखने के और दावा कर रहा है कि मुकदमे में उसका कोई व्यक्तिगत हित नहीं है या सार्वजनिक हित के अलावा कोई अन्य मकसद नहीं है।
अदालत ने कहा,
"अधिकांश मामलों में याचिकाकर्ता या उनके वकील सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं हुए या याचिकाकर्ता MCD और/या निजी प्रतिवादियों को याचिका की अग्रिम सूचना देने के बाद अधिकांश मामलों को सूचीबद्ध करवाने में विफल रहे।"
अदालत ने आगे कहा कि MCD के वकील द्वारा उठाई गई आशंकाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और उनके खिलाफ CBI जांच का आदेश दिया। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 04 सितंबर को सूचीबद्ध करते हुए कहा,
"CBI को अगली सुनवाई की तारीख पर या उससे पहले प्रारंभिक जांच की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है।"
केस टाइटल- राहुल कुमार बनाम दिल्ली नगर निगम