दिल्ली हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में बिना केस डायरी के पेश होने वाले जांच अधिकारी की निंदा की
Amir Ahmad
16 July 2025 1:06 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में आरोपी व्यक्ति जमानत दे दी। साथ ही बिना उचित केस फ़ाइल और डायरी के अदालत में पेश होने वाले जांच अधिकारी के आचरण की कड़ी निंदा की।
जस्टिस गिरीश कठपालिया ने कहा,
"सबसे पहले यह बेहद निंदनीय है कि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता का विरोध करने के लिए जांच अधिकारी मूल पुलिस फ़ाइल या केस डायरी के बिना पेश हुआ। केस डायरी ही जांच की प्रामाणिकता होती है।"
अदालत भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 302, 212 और 120बी तथा शस्त्र अधिनियम की धारा 25 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए 2022 में दर्ज FIR में ज़मानत की मांग करने वाले एक अभियुक्त द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रही थी।
अभियुक्त का कहना था कि उसके भाई की दो लोगों ने गोली मारकर हत्या की और उसका नाम FIR में नहीं है और उसे झूठा फंसाया गया।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि अपराध में प्रयुक्त हथियार और गोला-बारूद अभियुक्त द्वारा हत्यारों को मुहैया कराए, इसलिए वह ज़मानत का हकदार नहीं है।
अदालत द्वारा जांच अधिकारी के आचरण की निंदा करने के बाद अधिकारी ने कहा कि हथियार और गोला-बारूद उस घर से बरामद किए गए, जहां अभियुक्त रहता था। यह कथित बरामदगी कथित हत्यारों के प्रकटीकरण बयान के परिणामस्वरूप हुई।
अदालत ने कहा कि घर की कथित तलाशी लेने से पहले घर के मालिक या यहां तक कि उसमें रहने वाले को भी कोई सूचना नहीं दी गई।
अदालत ने आगे कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि अभियुक्त उक्त घर में मालिक या किरायेदार के रूप में रह रहा था।
अदालत ने ज़मानत याचिका स्वीकार करते हुए कहा,
"उपरोक्त परिस्थितियों वर्ष 2022 से अभियुक्त/आवेदक की कैद और निचली अदालत में कार्यवाही के चरण को देखते हुए मुझे अभियुक्त/आवेदक को और अधिक स्वतंत्रता से वंचित करने का यह उपयुक्त मामला नहीं लगता।"
केस टाइटल: समीर @ अज़हर बनाम राज्य सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के

