दिल्ली हाईकोर्ट ने कैदी अंकित गुज्जर हत्या मामले में तिहाड़ जेल के पूर्व अधिकारी को जमानत देने से किया इनकार

Amir Ahmad

1 Oct 2024 2:56 PM IST

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने कैदी अंकित गुज्जर हत्या मामले में तिहाड़ जेल के पूर्व अधिकारी को जमानत देने से किया इनकार

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में तिहाड़ जेल के पूर्व उपाधीक्षक को कैदी अंकित गुज्जर की हत्या के मामले में जमानत देने से इनकार किया। 29 वर्षीय कथित गैंगस्टर अंकित गुज्जर 2021 में जेल के अंदर मृत पाया गया था।

    जस्टिस सुधीर कुमार जैन ने अपराध की प्रकृति और गंभीरता तथा गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों से छेड़छाड़ करने की संभावना को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन जेल अधिकारी नरेंद्र मीना को जमानत देने से इनकार किया।

    अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे पता चले कि मुकदमे में देरी अगर कोई हुई है तो केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की वजह से हुई, जिसे सितंबर 2021 में न्यायिक आदेश के जरिए जांच सौंप दी गई।

    अदालत ने कहा,

    “यह उल्लेख करना उचित है कि यूटीपी अंकित गुज्जर की मृत्यु न्यायिक हिरासत में रहने के दौरान हुई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यूटीपी अंकित गुज्जर के शरीर पर कई पूर्व-मृत्यु चोटों के निशान दिखाई देते हैं। ट्रायल कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश की और समाज के व्यापक हित को आरोपी की स्वतंत्रता पर प्राथमिकता दी जानी चाहिए।”

    अंकित गुज्जर 04 अगस्त, 2021 को तिहाड़ जेल के अंदर मृत पाया गया था। वह सेंट्रल जेल नंबर 3 में बंद था। घटना के सिलसिले में डीजीपी ने मीना सहित चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया था। निलंबित किए गए अन्य लोगों में दो सहायक अधीक्षक और एक वार्डन शामिल थे।

    आरोप है कि मीना और जेल के अन्य अधिकारियों ने 03 अगस्त, 2021 को अंकित गुज्जर की बेरहमी से पिटाई की और उसे कोई मेडिकल सुविधा नहीं दी, जिससे जेल परिसर में उसकी मौत हो गई। यह भी आरोप है कि आरोपी व्यक्ति मृतक के रिश्तेदारों से पैसे ऐंठने के लिए उसे परेशान कर रहे थे।

    गुज्जर की मां की याचिका पर समन्वय पीठ ने जांच दिल्ली पुलिस से सीबीआई को सौंप दी।

    मीना को जमानत देने से इनकार करते हुए जस्टिस जैन ने कहा कि चश्मदीद गवाहों या पीड़ितों ने मीना सहित आरोपी व्यक्तियों द्वारा बयान बदलने के लिए धमकाने के आरोप लगाए।

    अदालत ने कहा,

    "सभी तथ्यों पर विचार करने और अपराध की प्रकृति और गंभीरता और याचिकाकर्ता द्वारा गवाहों को प्रभावित करने/सबूतों से छेड़छाड़ करने की संभावना को ध्यान में रखते हुए जमानत का कोई आधार नहीं बनता है। इसलिए वर्तमान जमानत याचिका खारिज की जाती है।”

    उन्होंने स्पष्ट किया कि आदेश में कुछ भी मामले के गुण-दोष पर राय के रूप में नहीं माना जाएगा।


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